आहिस्ता -आहिस्ता
समय हो तो अपनी हथेली पर भी रख लेना एक फूल, घूम आना स्मृति के मेले में, कहानी की किताब में झांक कर, कर लेना बातें ' पंडित विष्णु शर्मा ' से, या घर ले आना ' नौकर की कमीज़ ' सुन लेना रजनीगंधा की फूल या ठुमक लेना ' झुमका गिरा ' की धुन पर कह लेना खुद से भी "Relax ! चंद कदम ही तो हैं, चल लेंगे आहिस्ता-आहिस्ता हम भी, तुम भी।।
आदरणीय अपर्णा जी आप बहुत अच्छा लिखती है.भावों का प्रवाह अत्यंत सुंदर है।मेरा सुझाव है कि तस्वीरों में लिखने के बजाय सीधे पेज पर लिखिए,तस्वीरों पर कई
जवाब देंहटाएंबार शब्द पढ़ने में नहीं आते है।
स्वेता जी, सुझाव देने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया. आगे से सीधे ब्लोग पर ही लिखूंगी.
हटाएंvery nice heart touching lines
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंThanks sonu jee.
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