प्रेम के हरे रहने तक!


पलाश के लाल-लाल फूल 
खिलते हैं जंगल में,
मेरा सूरज उगता है 
तुम्हारी आँखों में,
मांग लेती हूँ धूप  थोड़ी सी तुमसे;
न जाने कब,
हमारे प्रेम का सूरज डूब जाए 
मुरझा जाएँ पलाश 
मरणासन्न हो जाये जंगल,
कोशिश है
खिले रहें पलाश ,
हरा रहे जंगल 
बची रहे तुम्हारी धूप
मेरी मुट्ठी में ताउम्र।   

(image credit google)

टिप्पणियाँ

  1. पलाश आम तौर पर फागुन चैत में खिलता है। तमन्ना है आपके हिस्से की धूप हमेशा खिली रहे।

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    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी, शुभकामनाओं के लिए सादर आभार.

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  2. लाह की लाल हरी लहटियों में लोलित लावण्य लास,
    पल पल पुलक पुलक अपलक फूले पलामू का पलाश !!!

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    उत्तर
    1. वाह!विश्वमोहन जी आपने अनुप्रास अलंकार की शोभा से सजा दिया इस पोस्ट को. पलामू के जंगल हो, सारंडा के जंगल हों या सतपुडा के जंगल, पलाश के लाल लाल फूल धरती और जीवन को रंगीन कर जाते हैं.

      प्रतिक्रिया देने के लिये ह्रदयतल से आभार.

      हटाएं
    2. प्रिय अपर्णा -- प्रणय के रंग से सुसज्जित रचना थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह जाती है | बहुत अच्छा लिखा आपने | सस्नेह शुभकामना ------

      हटाएं
  3. पलाश का मौसम अब आने को है
    जब खिलने लगे पलाश
    संजो लेना
    आंखों मे
    सजा रखना हृदय तल मे
    फिर सूरज कभी ना डूबने देना
    चाहतों के पलाश बस
    यूं ही खिला खिला रखना
    हरे रहेगें अरमानों के जंगल
    प्रेम के हरे रहने तक।

    लाजवाब अपर्णा जी बहुत सुंदर भाव श्रृंगार मे विकलता का अप्रतिम भाव काव्य सौष्ठव भी बहुत सुंदर।
    आपके जीवन मे पलाश सदाबहार बन खिलते रहें।
    शुभ दिवस।

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  4. मेरा सूरज उगता है 
    तुम्हारी आँखों में,
    मांग लेती हूँ धूप  थोड़ी सी तुमसे;
    न जाने कब,
    हमारे प्रेम का सूरज डूब जाए...

    Wahhhhhh। क्या ख़ूब दिलकश तब्सिरा है। लाज़वाब

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  5. मुट्ठी में बंद धुप रिस जाती है समय की तरह ... सूरज रोज़ उगाना होता है ताकि खिलता रहे पलाश ... हरा ही रहे जंगल ...
    भावपूर्ण रचना ...

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  6. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" सशक्त महिला रचनाकार विशेषांक के लिए चुनी गई है एवं सोमवार २७ नवंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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    उत्तर
    1. आदरणीय ध्रुव जी, मेरी रचना को इतना मान देने के लिये हृदय से आभारी हूं.
      सादर

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  7. बड़ी सरल और सहज मनोकामना ।
    धूप का गुनगुना अहसास बना रहे साथ ।

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  8. मेरा सूरज उगता है तुम्हारी आँखों में....
    वाह!!!!
    बहुत लाजवाब रचना....

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