प्रेम-राग

बड़ा पावन है
धरती और बारिश का रिश्ता,
झूम कर नाचती बारिश और
मह-मह महकती धरती;
बनती है सृष्टि का आधार,
उगते हैं बीज,
नए जीवन का आगाज़,
शाश्वत प्रेम का अनूठा उपहार,
बारिश और धरती का मधुर राग,
उन्मुक्त हवाओं में उड़ती,
सरस संगीत की धार,
तृप्त जन, मन, तन
तृप्त संसार.
#AparnaBajpai

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मृत्यु के बाद एक पल

आहिस्ता -आहिस्ता

प्रेम के सफर पर