tag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post1230928436575428700..comments2024-03-19T14:59:12.169+05:30Comments on बोल सखी रे: "ग्राहक" लघुकथा अपर्णा वाजपेयीhttp://www.blogger.com/profile/11873763895716607837noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-49561655385845723202017-10-06T19:24:10.528+05:302017-10-06T19:24:10.528+05:30अनकही अनछुई चुभती बातों को, सामाजिक सड़ांध को आपकी ...अनकही अनछुई चुभती बातों को, सामाजिक सड़ांध को आपकी कलम आवाज़ देती है तो लगता है हमने अब सहना बन्द कर दिया है। आप अलग लिखते हैं, सटीक लिखते हैं, प्रासंगिक लिखते हैं। बहुत सुंदर कहानी। सादरअमित जैन मौलिकhttps://www.blogger.com/profile/07987558363508620146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-74322160505013944262017-10-06T16:11:26.032+05:302017-10-06T16:11:26.032+05:30मार्मिक कथा, शब्द कम पड़ रहें हैं भावनाओं को व्यक्त...मार्मिक कथा, शब्द कम पड़ रहें हैं भावनाओं को व्यक्त करने में।RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI'https://www.blogger.com/profile/14562043182199283435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-43074866209625722552017-10-06T08:03:02.891+05:302017-10-06T08:03:02.891+05:30मार्मिक...
जिंदगी वो सब करवा देती है
जो हम करना ही...मार्मिक...<br />जिंदगी वो सब करवा देती है<br />जो हम करना ही नहीं चाहते<br />पर<br />मज़बूर को ,<br />मज़बूर की ,<br />मजबूरिया.. <br />मज़बूर <br />कर देती है ..!!!!<br />आदर सहित<br />दिव्या अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/17744482806190795071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-32274281632658744782017-10-06T05:15:23.534+05:302017-10-06T05:15:23.534+05:30बहुत ही भयावह सच को कहानी में पिरो दिया आपने अपर्ण...बहुत ही भयावह सच को कहानी में पिरो दिया आपने अपर्णा जी।गज़ब।निःशब्द है हम। संवेदनाओं को झकझोरती रचना आपकी।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.com