tag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post6941429772724522461..comments2024-03-19T14:59:12.169+05:30Comments on बोल सखी रे: मृत्यु से पहले की उम्मीद ( #Road Accident)अपर्णा वाजपेयीhttp://www.blogger.com/profile/11873763895716607837noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-51855379328362736362017-11-25T22:50:19.281+05:302017-11-25T22:50:19.281+05:30कोई न कोई बचा ही लेगा....इंसानियत अभी भी जिंदा हैं...कोई न कोई बचा ही लेगा....इंसानियत अभी भी जिंदा हैं इसीलिए हजारों घटनाएं होती हैं कोई न कोई मदद के लिए आ ही जाता हैं फरिश्ता बन कर...बहुत ही मार्मिक रचना हैंShakuntlahttps://www.blogger.com/profile/03789132133483681585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-59088788007011846412017-11-24T13:09:44.076+05:302017-11-24T13:09:44.076+05:30कोई न कोई बचा ही लेगा
ज़िंदा होगा इंसान किसी न किस...कोई न कोई बचा ही लेगा <br />ज़िंदा होगा इंसान किसी न किसी शरीर में जरूर...<br />और अगर न बचाए कोइ मुझे;<br />हे इश्वर! ये उम्मीद बचाए रखना <br />कि ज़िंदा है इंसानियत इंसान के भीतर।--<br />क्या बात है !!!!! बहुत ही मार्मिक वाणी अवरुद्ध करने वाली पंक्तियाँ हैं प्रिय अपर्णा | सचमुच संवेदनायें ज़िंदा रहती हैं तो मानवता का अस्तित्व बचा रहता है | क्या कहूँ आकस्मिक मौत से घिरे बेबस इन्सान के जरूर यही भाव होते होंगे | काश !! कोई इस अनसुनी आवाज को सुन कर किसी जाने वाले की सांसों की डोर थाम ले ताकि इंसानियत बची रहे | | <br />रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-55549585628475846272017-11-24T12:38:01.356+05:302017-11-24T12:38:01.356+05:30संवेदना का अभाव ही है यह .....आये दिन खबरों में सु...संवेदना का अभाव ही है यह .....आये दिन खबरों में सुनने को मिल ही रहा है। मदद करनी तो नहीं परन्तु वीडियो बनाकर अपलोड करना जरूर आता है .....<br />इन्सानियत सच में गुम हो रही है....<br />आपकी रचना बहुत ही चिन्तनीय है अगर यूँ ही दुर्घटनाओं में कोई स्वयं को रखकर देखे तो शायद इन्सानियत जगे....Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-1035432656760611262017-11-24T12:11:42.600+05:302017-11-24T12:11:42.600+05:30बेहद गम्भीर रचना। व्यक्तिगत अनुभव जुदा हो सकते हैं...बेहद गम्भीर रचना। व्यक्तिगत अनुभव जुदा हो सकते हैं लेकिन मैं आदरणीय पुरुषोत्तम जी से सहमत हूँ कि संवेदना ज़िंदा है। लोग आते है ठहरते हैं इमदाद पहुंचाते हैं। तुरंत और देर से मुहैया होना आपकी ज़िंदगी और किस्मत पर मुनहसर है। मेरा स्वयं का सकारात्मक अनुभव है। लोगों के अंदर ईश्वरीय अंश है। लेकिन स्वयं के अंदर झाँकना आवश्यक है कि हमारे अंदर की सवेंदना कितनी जीवित है। वाह रचनाअमित जैन मौलिकhttps://www.blogger.com/profile/07987558363508620146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-10925667469804522702017-11-24T07:14:57.571+05:302017-11-24T07:14:57.571+05:30मरती हुवी संवेदनाओं पर,चोट करती हताशा ...,व्याकुल ...मरती हुवी संवेदनाओं पर,चोट करती हताशा ...,व्याकुल मन चाह कर भी कुछ नही कर पाने की बौखलाहट,एकला चलो की परिवारवादी सोच.लचर कानुन व्यवस्था ,मानव मन पर दिनो दिन बफॅ की मोटी परत डाल रही हे ..जहां संवेदनांए सुप्त होती जा रही है...बधाई <br />ह्रदय क़ झकझोर देने वाली लेखनी के लिए..!!!Anita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-83162540772237191562017-11-23T23:09:53.888+05:302017-11-23T23:09:53.888+05:30मेरी रचना को चुनने के लिये सादर आभार श्वेता जी.मेरी रचना को चुनने के लिये सादर आभार श्वेता जी.अपर्णा वाजपेयीhttps://www.blogger.com/profile/11873763895716607837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-16608559649421598492017-11-23T12:57:44.534+05:302017-11-23T12:57:44.534+05:30जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन...जी नमस्ते,<br />आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 24 नवम्बर 2017 को साझा की गई है..................http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-90989638803103758732017-11-22T11:29:10.167+05:302017-11-22T11:29:10.167+05:30behad shandar rachna..
padhkar man khush ho gaya.....behad shandar rachna..<br />padhkar man khush ho gaya... NITU THAKURhttps://www.blogger.com/profile/03875135533246998827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-30141910986178977372017-11-22T09:42:08.045+05:302017-11-22T09:42:08.045+05:30उम्मीद का होना जरूरी है वर्ना तो साँसें पल भर में ...उम्मीद का होना जरूरी है वर्ना तो साँसें पल भर में रुक जाएँ ... पर इंसानों में इंसान का मिलना मुश्किल जरूर है ...<br />अच्छी रचना ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-74279974491007946902017-11-21T22:54:51.204+05:302017-11-21T22:54:51.204+05:30Bahut hi marmik magar aj ke samay ka kadwa sach.Bahut hi marmik magar aj ke samay ka kadwa sach.Roli Abhilashahttps://www.blogger.com/profile/07841147409129580434noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-49074940046305908622017-11-21T18:27:58.845+05:302017-11-21T18:27:58.845+05:30सटीक और सार्थकता को दर्शाती रचना..
जानता हूँ व्यस्...सटीक और सार्थकता को दर्शाती रचना..<br />जानता हूँ व्यस्त हैं सब, <br />मर गयी है सम्वेदना..Pammi singh'tripti'https://www.blogger.com/profile/13403306011065831642noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-28057190194407398892017-11-21T17:31:35.563+05:302017-11-21T17:31:35.563+05:30जब पास आ खडे होते मौत के साये
सब करम याद आने लगते ...जब पास आ खडे होते मौत के साये<br />सब करम याद आने लगते हैं अपने।<br /><br />बहुत ही सुंदरता से आपने बेबसी और यथार्थ का चित्रण किया हर दिन ऐसा होता है पर कोई भी नही सुधरता बस एक्सीडेंट बोल चूप्पी अपने कर्तव्य से विमुखता, सही समय कुछ प्रयत्नों से काफी जाने बचाई जा सकती है पर सभी भाग्य वाद और कानून की चपेट मे उलझे रहते हैं। <br />बहुत प्रभाव शाली रचना।<br />साधुवाद।<br />शुभ संध्या। मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-37511405809742949232017-11-21T15:23:11.672+05:302017-11-21T15:23:11.672+05:30आदरणीय पुरुषोत्तम जी , सादर आभार, ईश्वर करे हर घाय...आदरणीय पुरुषोत्तम जी , सादर आभार, ईश्वर करे हर घायल का अनुभव आप जैसा ही हो.<br />सादर <br />अपर्णा वाजपेयीhttps://www.blogger.com/profile/11873763895716607837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-21276499213942935212017-11-21T15:13:55.614+05:302017-11-21T15:13:55.614+05:30मेरा अनुभव...अभी जिन्दा है संवेदना लहलहा रही है मम...मेरा अनुभव...अभी जिन्दा है संवेदना लहलहा रही है ममता इन्सानिय की फसल।पुरुषोत्तम कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/16659873162265123612noreply@blogger.com