कविता की रेसिपी
जब कहने को हो बहुत कुछ
तो कहो एक कविता!
निकाल दो अपनी सारी भड़ास,
सारे दुःख, तकलीफ़
जाहिर कर दो संसार के सामने,
बिना व्यक्तिगत हुए,
दोषारोपण करो वर्ग विशेष पर,
आंसुओं की बहाओ गंगा यमुना,
तहज़ीब की चादर तले
लिखो अनछुए एहसास,
प्रेम और रोमांच के अनुभव,
कोई नहीं आएगा टोकने ,
रोकने या तुम्हें
खड़ा करने
कटघरे के अंदर,
तुम्हारे शब्दों की छांव में,
छुप जाएगा सारा जहां,
अपने -अपने ज़ख़्म छिपाये हुए लोग
मरहम की आस में आएंगे निकट,
तुम्हारी कविता में खोज लेंगे
अपने-अपने प्रेम,
अपनी आदतें, अपने रोष!
कविता तब कविता नहीं होगी,
होगी मानव मन का आख्यान,
न कम न ज़्यादा
बस संतुलित रखना
कविता के सारे इंग्रीडिएंट्स...
संतुष्टि की रेसपी के लिए.
©Aparna Bajpai
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 20 अगस्त 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंThanks Ravindra ji
हटाएंवाह!!सखी ,बहुत खूब !!👌
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सखी
हटाएंसादर
कई मसले, जज्बातों और संवेदनशीलता के साथ बनती है कविता ...
जवाब देंहटाएंइसकी रेसिपी हर किसी की अपनी होती है ... बहुत लाजवाब रचना ...
अपने -अपने ज़ख़्म छिपाये हुए लोग
जवाब देंहटाएंमरहम की आस में आएंगे निकट,
तुम्हारी कविता में खोज लेंगे
बहुत ही सुन्दर सार्थक रेसिपी कविता की...
वाह!!!
सादर आभार सुधा जी
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