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कैसी लगी #तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया

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  फिल्म समीक्षा हिंदी में  #कृति ​ सेनन और #शाहिद ​ कपूर की मुख्य भूमिकाओं वाली फिल्म 9फरवरी के 2024को सिनेमा घरों में रिलीज़ की गई। यह फिल्म #jiocinema ​ ने बनाई है और फिल्म आज के जमाने की कहानी है। यह एक Romantic Drama है जो एक साइंसेटिस्ट और एक फीमेल robot के बीच हुए रिश्ते की मज़ेदार कहानी है। आज के युवाओं को ध्यान में रख कर बनाई गई फ़िल्म युवाओं को पसंद आ रही है। #shahidkapoor ​ और #kritisenon ​ की acting ke साथ साथ धर्मेंद्र और डिंपल कपाड़िया भी फिल्म में भूमिका निभा रहे हैं। मनोरंजक तरीके से बनाई गई फिल्म पैसा वसूल का अनुभव देती है हां फिल्म देखने की समय ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है। #filmora ​ #filmoramobile ​, #BollywoodmovieReviewinHindi ​,   #Teri ​baatonmeinaisauljhajiya #filmreviewinHindi ​, #filmreviews ​ , #shahidkapoor ​ , #kritiSenon ​ , #bollywood ​

आहिस्ता -आहिस्ता

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  समय हो तो अपनी हथेली पर भी रख लेना एक फूल, घूम आना स्मृति के मेले में, कहानी की किताब में झांक कर, कर लेना बातें  ' पंडित विष्णु शर्मा ' से, या घर ले आना ' नौकर की कमीज़ ' सुन लेना रजनीगंधा की फूल या ठुमक लेना ' झुमका गिरा ' की धुन पर कह लेना खुद से भी "Relax ! चंद कदम ही तो हैं, चल लेंगे आहिस्ता-आहिस्ता हम भी, तुम भी।।

JORAM फिल्म समीक्षा हिंदी

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  JORAM' फ़िल्म मुझे कैसी लगी  मनोज बाजपेई की फिल्म ' जोराम ' जिसे कई पुरस्कारों से नवाजा गया है के बारे में बात करते हैं। मुझे यह फिल्म कैसी लगी।  यह फिल्म एक ऐसे पिता की है जो व्यवस्था से भाग रहा है अपनी बच्ची को लेकर. एक पिता का दर्द, एक मजदूर की त्रासदी, शोषण से लड़ रहे एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जो गरीब है, जो व्यवस्था से मजबूर है, जो लाचार है, और जो चाहता है कि उसके जल, जंगल, जमीन बचे रहे। जो चाहता है की पुरानी सभ्यता बची रहे। लोगों में इंसानियत बची रहे। यह फिल्म ऐसे सत्ता के ठेकेदारों और उनका सामना करने वाले लोगों की सच्ची दास्तां है।  झारखंड के आदिवासियों पर  आधारित यह कहानी एक ऐसे मजदूर की कहानी है जो मुंबई के  कंक्रीट के जंगलों में कमाने के लिए जाता है और व्यवस्था का शिकार हो जाता है । यह फिल्म OTT पर भी रिलीज हो चुकी है, अगर आप ज़रा भी सामाजिक सरकारों के प्रति जागरूक हैं तो इस फिल्म को जरूर देखें या फिल्म पूरे परिवार के साथ बैठकर देखी जा सकती है बेहतरीन अभिनय तथा चुस्त निर्देशन के लिए आप इसे याद रखेंगे। नीचे दिए गए लिंक पर जाकर review को अपने लाइक और शेयर से आगे बढ़

मृत्यु के बाद एक पल

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  उसने लरजते हुए हांथों से मेरी ओर एक लिफ़ाफा बढ़ाया उस वक्त उसकी आंखों में वह नहीं थी, मैने सोचा, क्या ही हो सकता है!  उस पल,  जब होंठों पर बर्फ़ की सिल्ली रख जाय, कहीं कुछ ऐसा तो नहीं; जो वापसी का दरवाज़ा खोल दे. उधार की आंखों से मैने उसे कांपते हुए देखा लिफाफा मेरी उंगलियों से टकरा चुका था, खुद पर नंगा होने की हद तक बेशर्मी डालने की कोशिश कर  लिफ़ाफा खोलते हुए  मैने देखे; सिर के कटे हुए कुछ बाल  उसके बच्चे के, उस पल बर्फ फिर बरसी आसमां से नहीं आंखों से  ।। PC Wikipedia  @मानव कौल की बातचीत सुनते हुए 

वैलेंटाइन डे पर कविता

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  फरवरी प्रेम का महीना है और वेलेंटाइन डे के पहले वाले डे बीत चुके हैं।  14 फरवरी को वेलेंटाइन डे है और इस दिन प्रेम का इजहार भी होता है और इकरार भी। लेकिन कई बार चीज़े सही नहीं होती और किशोरावस्था से युवावस्था की देहरी पर कदम रखते युवा सच्चे प्रेम को नही समझ पाते।  उन युवाओ को ध्यान में रखते हुए लिखी गई एक कविता सुनें मेरे चैनल पर  फरेबी इश्क़ का माह आ गया है  बच के रहना ल़डकियों इम्तहान आ गया है  Aparna Bajpai  Copyright reserved 

भारत में भाषाएँ सीखने का महौल: एक साक्षात्कार

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भारत जैसे विविध भाषाई देश में भाषाएं सीखने का माहौल बनाना बेहद जरूरी है।   जब हम उत्तर से दक्षिण या दक्षिण से उत्तर, पूरब से पश्चिम या पश्चिम से पूरब की ओर यात्राएं करते हैं तो अपने ही देश में कई बार हमें भाषाएं न जानने से अलग-अलग तरह के अनुभव होते हैं। कभी अच्छे अनुभव तो कभी ऐसे अनुभव जो हमें  एहसास कराते है कि हम भाषाएं सीखने के प्रति इतने पीछे क्यों है! बच्चों के लिए सीखने सिखाने का माहौल बनाना बेहद जरूरी है । हम जिस प्रकार का माहौल अपने बच्चों को देते हैं बच्चे उसी प्रकार सीख कर आगे बढ़ते हैं ।अगर हम अपने बच्चों को एक ऐसा माहौल देंगे जहां पर वह उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम की भाषाओं को सीख सके और भाषाएं सीखने के प्रति उनके अंदर रुचि जागृत हो सके तो यह उनके बचपन को सही दिशा देना होगा । इन्हीं सारे विषयों पर हमने बात की है रंगराज अयंगर जी से जिन्होंने हिंदी भाषा के प्रति अपने लगाव को दर्शाया है और हिंदी भाषा से संबंधित उनकी सात किताबें भी प्रकाशित हुई हैं आइए सुनते हैं उनसे बातचीत का पहला अंश----- Iyangar जी की किताबे मंगाने के लिए आप इस पते पर संपर्क करें  M. R. Iyengar.               

चुड़ैल (कविता)

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मेरे गांव में उतरा करते हैं प्रेत, जवान लड़कियों की दाग दी जाती है ज़बान, मिर्चा और सरसों का धुँआ प्रेत भगाने का अचूक हथियार है, औरतों के ही शरीर में पैठती है चुड़ैल, बन्द किवाड़ों के भीतर चुड़ैल भगाता है गांव का ओझा, औरतों की पीठ जलते कोयले को बर्फ़ में बदल देती है, जूड़े में पलाश की आग जलाकर लड़कियां प्रेत को बांध लेती हैं अपनी गांठ में, महुआ की गंध चुड़ैल का इत्र बन जाती है औरतें रज में बहा देती हैं ओझा का तंत्र, सरसों और मिर्च को चटकार जाती हैं नन्ही अमियों के साथ,  गोल दुनिया को दरवाज़े पर लटका;  औरतें चुड़ैलों के साथ खेल लेती हैं  अक्कड- बक्कड़। ©️अपर्णा बाजपेयी