पैरों ने सबसे पहले शुक्रिया कहा जूतों को,
जूतों ने कदमों का साथ दिया,
कदमों ने रास्ते का चुम्बन लिया
और रास्ते ने सफलता झोली में डाल दी..
उनका साथ, उनका प्यार किसी दुविधा में नहीं था।
The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो - दो हाँथ करती कवितायें ) आँखों में आयी चमक की तरह कुछ चंचल Quotes..... आपके दीदार और प्रतिकियाओं का इंतज़ार कर रहे हैं.......
मेरे भीतर एक जादूगर रहता है
न मुझसे जुदा , न मुझसा
मुझे दूर से देखता हुआ दिखाता है मुझे आत्ममोह,
या ख़ुदा! कितना अलग है मुझसे मेरा मै
आत्मध्वजा के भार से झुका हुआ मै
झुक ही नहीं पाता माफ़ी के दो लफ्ज़ो में,
शुक्रिया के शब्दों का झूठ
मेरी ही आत्मा पर जमा रहा कालिख है...
न न .. अब और नहीं
और नहीं लादूँगा खुद पर 'कुछ होने' का बोझ
नहीं तो ..!
मेरा जादूगर बदल देगा मुझे उस सुनहरी छड़ी में
जिसकी छुअन से सच झूठ में बदल जाता है...
#अपर्णा
चूहा अपनी ही बारात से भाग गया !! आख़िर क्यों ??
सुनें / देखें और अपनी प्रतिक्रिया दें
किसे नहीं पसंद है
रातों का मख़मली होना,
सुबह के माथे पर उनींदी ओस की बूंदें,
झुमके के साथ हिलते बालों का मचलना,
वे इलाइची की गंध में पगी चाय की खुशबू खोजते हैं,
जैसे तलाशते हैं अफ़ग़ान बच्चे शांति का एक कोना,
जहां बंदूकों और बमों की आवाजें न हों,
जब तालिबानी लड़ाकों की मासूमियत मर जाती है,
तभी धरती से सूख जाती है शबनम!
रात के आंचल पर बिखर जाता है मासूम तारों का लहू,
क्यों न चाय के गिलास में पिला दी जाय शांति की दवा,
हिंसक मंसूबों पर उड़ेल दिए जांय मासूम बच्चों के कहकहे,
आओ! दुनिया के माथे पर एक बोसा दिया जाय
और सोख लिया जाय सारा ज़हर..
फ़िर झुमके के साथ झूमेंगे बाल भी, हम भी...
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झूमती हवाएँ |
#अपर्णा वाजपेयी
पैरों ने सबसे पहले शुक्रिया कहा जूतों को, जूतों ने कदमों का साथ दिया, कदमों ने रास्ते का चुम्बन लिया और रास्ते ने सफलता झोली में डाल दी.. उन...