प्रेम के हरे रहने तक!
पलाश के लाल-लाल फूल खिलते हैं जंगल में, मेरा सूरज उगता है तुम्हारी आँखों में, मांग लेती हूँ धूप थोड़ी सी तुमसे; न जाने कब, हमारे प्रेम का सूरज डूब जाए मुरझा जाएँ पलाश मरणासन्न हो जाये जंगल, कोशिश है खिले रहें पलाश , हरा रहे जंगल बची रहे तुम्हारी धूप मेरी मुट्ठी में ताउम्र। (image credit google)