एक चिड़िया का घर
एक चिड़िया उड़ती है बादलों के उस पार.. उसकी चूं-चूं सुन, जागता है सूरज, उसके पंखों से छन कर, आती है ठंढी हवा, गुनगुनाती है जब चिड़िया, आसमान तारों से भर जाता है, धरती से उठने वाली; साजिशों की हुंकार सुन; चिड़िया जब-तब कराहती है, उसकी आँखों से बहती है आग, धरती पर बहता है लावा, रोती हुई चिड़िया को देख उफनते हैं ज्वालामुखी, सूख जाती हैं नदियां, मुरझा जाते हैं जंगल, आजकल चिड़िया चुप है! उदास हैं उसके पंख, चिड़िया कैद है रिवाज़ों के पिटारे में ज़रा गौर से देखो संसार की हर स्त्री की आँखें! वह चिड़िया वंही रहती है.... (Image credit google)