संदेश

2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरे जाने के बाद

चित्र
मेरे जाने के बाद   मुझे तुम ख़ुद से बाहर निकाल देना, उस बरस जैसे निकाल फेंका था वह पूरा महीना; जो हमने एक दूसरे से दूर गुजारा था, याद तो जरूर होगा तुम्हे! तुम कहते हो बुरे वक्त को निकाल फेंको जीवन से, अच्छे दिनों की मियाद खुद ब खुद बढ़ जाती है, जैसे बालों से निकाल दिया जाता है मुरझाया फूल, पैरों से कांटा, उधारी की याद, विरह की रात, छोड़ देना मुझे भी उस ज़ख्म की तरह  जिसे भरने के लिए भूलना पड़ता है।।

कैसी लगी #तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया

चित्र
  फिल्म समीक्षा हिंदी में  #कृति ​ सेनन और #शाहिद ​ कपूर की मुख्य भूमिकाओं वाली फिल्म 9फरवरी के 2024को सिनेमा घरों में रिलीज़ की गई। यह फिल्म #jiocinema ​ ने बनाई है और फिल्म आज के जमाने की कहानी है। यह एक Romantic Drama है जो एक साइंसेटिस्ट और एक फीमेल robot के बीच हुए रिश्ते की मज़ेदार कहानी है। आज के युवाओं को ध्यान में रख कर बनाई गई फ़िल्म युवाओं को पसंद आ रही है। #shahidkapoor ​ और #kritisenon ​ की acting ke साथ साथ धर्मेंद्र और डिंपल कपाड़िया भी फिल्म में भूमिका निभा रहे हैं। मनोरंजक तरीके से बनाई गई फिल्म पैसा वसूल का अनुभव देती है हां फिल्म देखने की समय ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है। #filmora ​ #filmoramobile ​, #BollywoodmovieReviewinHindi ​,   #Teri ​baatonmeinaisauljhajiya #filmreviewinHindi ​, #filmreviews ​ , #shahidkapoor ​ , #kritiSenon ​ , #bollywood ​

आहिस्ता -आहिस्ता

चित्र
  समय हो तो अपनी हथेली पर भी रख लेना एक फूल, घूम आना स्मृति के मेले में, कहानी की किताब में झांक कर, कर लेना बातें  ' पंडित विष्णु शर्मा ' से, या घर ले आना ' नौकर की कमीज़ ' सुन लेना रजनीगंधा की फूल या ठुमक लेना ' झुमका गिरा ' की धुन पर कह लेना खुद से भी "Relax ! चंद कदम ही तो हैं, चल लेंगे आहिस्ता-आहिस्ता हम भी, तुम भी।।

JORAM फिल्म समीक्षा हिंदी

चित्र
  JORAM' फ़िल्म मुझे कैसी लगी  मनोज बाजपेई की फिल्म ' जोराम ' जिसे कई पुरस्कारों से नवाजा गया है के बारे में बात करते हैं। मुझे यह फिल्म कैसी लगी।  यह फिल्म एक ऐसे पिता की है जो व्यवस्था से भाग रहा है अपनी बच्ची को लेकर. एक पिता का दर्द, एक मजदूर की त्रासदी, शोषण से लड़ रहे एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जो गरीब है, जो व्यवस्था से मजबूर है, जो लाचार है, और जो चाहता है कि उसके जल, जंगल, जमीन बचे रहे। जो चाहता है की पुरानी सभ्यता बची रहे। लोगों में इंसानियत बची रहे। यह फिल्म ऐसे सत्ता के ठेकेदारों और उनका सामना करने वाले लोगों की सच्ची दास्तां है।  झारखंड के आदिवासियों पर  आधारित यह कहानी एक ऐसे मजदूर की कहानी है जो मुंबई के  कंक्रीट के जंगलों में कमाने के लिए जाता है और व्यवस्था का शिकार हो जाता है । यह फिल्म OTT पर भी रिलीज हो चुकी है, अगर आप ज़रा भी सामाजिक सरकारों के प्रति जागरूक हैं तो इस फिल्म को जरूर देखें या फिल्म पूरे परिवार के साथ बैठकर देखी जा सकती है बेहतरीन अभिनय तथा चुस्त निर्देशन के लिए आप इसे याद रखेंगे। नीचे दिए गए लिंक पर जाकर review को अपने लाइक और शेयर से आगे बढ़