बेमतलब सा!
बेमतलब सा! जाने क्यों मै तड़प रहा हूं, इधर उधर क्यों भटक रहा हूं बेमतलब सा ! आवेदन की अंतिम तारीख लगी कतारें लंबी लंबी मै भी उनमे जूझ रहा हूं बेमतलब् सा! ना कंही पंहुचा, ना कंही जाना फ़िर भी मीलों दौड़ रहा हूं बेमतलन सा ! भूख लगी तो दाल पकाइ भात पकाया आलू संग संग खुद को भी मै; छील रहा हूं बेमतलब सा ! बात चली जब युद्ध शांति की नेता बोले चैनल बोले मै भी संग संग भौक रहा हूं बेमतलब सा ! जिबह हो रही गायें बकरी रोती अम्मा रोते अब्बू मै भी उन संग कलप रहा हूं बेमतलब सा ! ईद हुई और मनी दीवाली हुई अज़ाने घंटी डाली मै भी संग संग फुदक रहा हूं बेमतलब सा ! आसमान में उड़ी पतंगे, मनझा काटे संझा जोडे मै भी संग संग दौड़ रहा हूं बेमतलब सा! न कुछ कहना, न कुछ सुनना न कुछ गुनना, न कुछ धुनना फ़िर भी स्याही पोत रहा हूं बेमतलब सा ! जाने क्यों अब लगता ऐसा सांसे अपनी जान पराइ फ़िर भी जीवन सींच रहा हूं बेमतलब सा!!