नए साल में नई आस
छोटे छोटे पदचिन्हों संग आता है हर साल नया, नया कैलेंडर, नई बात लेे सुरभित होता साल नया। नई उमंगें, नई तरंगें नई चाल यह लाता है मुरझाए चेहरों पर आकर नई आस मल जाता है, बाग बगीचे, ताल तलैया तितली, रंग, फूल बिखरे, घर आंगन में पग रखकर यह नए प्लान बनाता है। बच्चे बच्चे कहते सब से हैपी हो यह साल नया, धूम धड़ाका पिकनिक - शिकनिक झरती खुशियां, हाल नया। 2021 लाएगा मतवाली हर शाम नई, परिवारों में हो पाएगी मस्ती वाली बात नई, साथ बैठ कर खाएंगे सब पूछेंगे सबका सब हाल, दौड़भाग से बच थोड़ा सा मन को करेंगे माला माल, अपनी बातें अपने सपने बांटेंगे परिवारों में, एकाकी होते जीवन को, खोलेंगे निज उपवन में, कोरॉना से मिली सीख को सींचेंगे जीवन में सब, प्रकृति दे रही जो कुर्बानी, उसका मोल समझेंगे अब नए साल में , नए हाल में ख़ुद का साथ निभाएंगे, थोड़ा ज्यादा जी कर खुद को सेहतवान बनाएंगे।। ©️ अपर्णा बाजपेई