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अगस्त, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दृश्य

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1. दर्शकों ने इस बार तालियां नहीं बजाईं, न ही उतरे वो संवेदना के समुद्र में, दर्शक मंच पर थे, दृश्य में उतरे हुए, बलात्कारी के साथ... वासना का कथानक; पूरे थियेटर पर तारी था। 2. खिड़की के बाहर लटकी हैं दो आंखें, उमग कर करती हैं सलाम हवा के ताजे झोंके को, आंखें टिकी हैं ज़मीन पर  नाचते हुए पत्ते मृत्यु के जश्न में तल्लीन हैं। 3. चिता की आग पर उबल रहा पानी मृत्यु का आखिरी घूंट है, चाय की चुस्की विदा का अनन्य उपहार, जीवन और मृत्यु, चाय की परिधि में घूमते दो चक्र हैं। 4. पलाश के फूल और सुगनी के जूड़े का क्लिप  आदिवासी सभ्यता का स्थाई सौंदर्य हैं, जंगल दहकता है, उगलता है आग, हरियाणा के बाज़ार में; जूड़े का क्लिप; किसी की पैंट का  स्थाई बटन बनता है।। ©️Aparna Bajpai

कंधे

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ईश्वर उनके दरवाजे पर खड़ा था पीठ पर था हजारों मन्नतों का बोझ  पैर जकड़े थे मालाओं की डोरियों में,  आंख भर देखने के बाद ईश्वर ने ली संतोष की सांस, माड़ का कटोरा लिए हुए बच्चे नाच रहे थे मरणासन्न मां के आसपास, ईश्वर का काम ख़त्म हो चुका था... अब खुशियों का बोझ बच्चों के कंधों पर था.. ©️Aparna Bajpai

चिड़िया का इंतजाम

  उनके घर में एक चिड़िया है, रोज दाना लाती है। घर भर का पेट भरती है और परिवार के सब लोग निश्चिंत होकर सोते है। आज की रोटी और कल की दाल का इंतजाम चिड़िया के भरोसे है। सब कुछ सेट है। कहीं कोई दिक्कत नहीं।  वहीं पर एक और घर है, घर में दो लोग है मां और बेटी । मां घर के बाहर नहीं निकाल सकती और बेटी कमाती है । घर ठीक से चल जाता है और कोई चिंता नहीं। अचानक बेटी का काम एक्सीडेंट हो जाता है और उसका काम छूट जाता है।  घर  में अब दाना लाने वाली कोई चिड़िया नहीं।   समस्या जटिल है। चिड़िया का इंतजाम कैसे हो । दाना कौन लाए? बेटी का विवाह हो और उसका पति जिम्मेदारी उठाए।  बेटी का विवाह नहीं हो पाता, दूल्हा कौन खोजे, इंतजाम कौन करे? सामाजिक रूप से उनका कोई पालनहार नहीं। अब क्या हो? क्या वे दोनो आत्महत्या कर लें जो कि पड़ोसी चाहते हैं, ताकि उनका घर हड़पा जा सके. मां 60वर्ष से ज्यादा की है और बेटी 40 के आसपास। उम्र साथ छोड़ रही है.... समाज भी... संकट गहरा है और हितैषी न के बराबर। अब रसोई के सारे कनस्तर खाली हैं और भरने वाला कोई नहीं... कोई कुछ करेगा क्या????