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भुट्टे का सुख (कविता)

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PC Naresh Agrawal's FB wall भुट्टे का सुख वही जानता है  जो जानता है बारिश की बूँदों का माधुर्य,  बीच राह चलते हुए जो पकड़ लेता है प्रेमिका का हांथ, नन्हें बच्चे की हंसी जिसके कानों में गूंजती है देर तलक , वह जो अभी-अभी कहकर आया है विदा; अपने अंतिम प्रेम से,  जिसके सिरहाने मां की बिंदी का पत्ता रखा है, जो जानता है खेत की मेड़ काटकर पानी लगाने का सुख,   जिसने भोर के तारे के इंतजार में काटी है  रात,  सड़क के किनारे भुन रहे भुट्टे के साथ दौड़ पड़ती हैं कुछ स्मृतियां,  माटी की महक,  रोटी बनाते हुए उँगलियों का जलना, अम्मा के आंचल में पोछ लेना मुँह,  भुट्टे के हर दाने के साथ महसूसता है जो आधा-आधा बांटने का सुख , वही बचाए रख पाता है पाषाण होते समय में अंजुरी भर पानी, जैसे बची रहती है भुने हुए दाने में असली मिठास। । ©️Aparna Bajpai

15अगस्त कविता

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आज़ादी के इस पावन पर्व पर आप सब को शुभकामनाएं  पंद्रह अगस्त , पंद्रह अगस्त पंद्रह अगस्त,  पंद्रह अगस्त वो राजगुरु,  वो भगत सिंह बिस्मिल हों या अशफ़ाक उल्ला आज़ाद,  बोस  गांधी जी की कुर्बानी नहीँ गई व्यर्थ। रच रहे आज हम नव भारत दुनिया में परचम लहराए आज़ादी के मतवालो की सीखो पर चलकर दिखलायें। यह पर्व नहीं कोई घटना झंडा फहराया,  भूल गए इसकी कीमत नव पीढ़ी को है जिम्मेदारी बतलायें, जब हर गरीब,  हर दुःखी व्यक्ति पूरी कर पाए हर इच्छा , आजाद देश का हर प्राणी एक-दूजे का सम्मान करे न धर्म जाति,  न रंग भाषा न कोई इनमें भेद करे ऐसा हो अपना देश आज हर नर नारी खुशहाल रहे पंद्रह अगस्त,  पंद्रह अगस्त यह देश सदा आबाद रहे ।2।। ©️Aparna Bajpai

आज़ादी के अमृत महोत्सव पर कविता

 पंद्रह अगस्त,  पंद्रह अगस्त  पंद्रह अगस्त,  पंद्रह अगस्त  अंग्रेज सूर्य जब हुआ अस्त  हर भारतवासी हुआ मस्त पंद्रह अगस्त,  पंद्रह अगस्त     खुशियों की तब रौनक आई,   खेतों में हरियाली  छाई, हर घर में तब उल्लास हुआ,  सपनों का दिन आबाद हुआ,  फिर कलम चली आज़ादी से , बेड़ियाँ बोल पर टूट गई , न कोई कैद रही मन पर , शाशन से कोइ न रहा त्रस्त,  पंद्रह अगस्त , पंद्रह अगस्त  पंद्रह अगस्त,  पंद्रह अगस्त । वो राजगुरु,  वो भगत सिंह,  बिस्मिल हों या अशफ़ाक उल्ला,  आज़ाद,  बोस,  गांधी जी की,  कुर्बानी नहीँ गई व्यर्थ, पंद्रह अगस्त,  पंद्रह अगस्त  पंद्रह अगस्त,  पंद्रह अगस्त । रच रहे आज हम नव भारत,  दुनिया में परचम लहराए,  आज़ादी के मतवालो की,  सीखो पर चलकर दिखलायें।  यह पर्व नहीं कोई घटना,  झंडा फहराया,  भूल गए,  इसकी कीमत नव पीढ़ी को  है जिम्मेदारी बतलायें,  जब हर गरीब,  हर दुःखी व्यक्ति  पूरी कर पाए हर इच्छा , आजाद देश का हर प्राणी  एक-दूजे का सम्मान करे,  न धर्म जाति,  न रंग भाषा   न कोई इनमें भेद करे,  ऐसा हो अपना देश आज , हर नर नारी खुशहाल रहे  पंद्रह अगस्त,  पंद्रह अगस्त  यह देश सदा आबाद रहे ।2।।

विश्व आदिवासी दिवस 2022

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  (9 अगस्त) आज हम मना रहे हैं 'विश्व आदिवासी दिवस '  आप भी हमारे साथ मनाएं और जानें उनके बारे में जो आधुनिकता के साथ  सामंजस्यपूर्ण तरीके से अपनी संस्कृति को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।  इस दिन के लिए कुछ पंक्तियां    जिनके घरों में नहीँ लगते हैं ताले,  जिनके दिलों पर पहरा नहीँ होता  खुले बदन भी जो कर लेते हैं इज्जत की रखवाली  उन लोगों को जंगलों पर शासन मुबारक हो।  पत्ते -पत्ते में जानते हैं फर्क़,  हर कुंए,  तालाब,  नदी,  पोखर के पानी को  पूजते हैं  हर दाने को इश्वर का आशीष समझ लगाते हैं भोग,  उन मानवों को ज़मीन का हर टुकड़ा मुबारक हो।  'विश्व आदिवासी दिवस' पर आप सभी को शुभकामनायें

पढ़ाई में कैसे लायें एकाग्रता

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 कई बार  बच्चे पढ़ाई करना चाहते हैं लेकिन पाठ्यक्रम की पुस्तकें खोलते ही उन्हें नींद आने लगती है।  पढ़ाई बोरिंग लगती है, वे ध्यान लगाकर पढ़ नहीँ पाते या जो भी पढ़ते हैं वह भूल जाते हैं।  इस वीडियो में हम बात कर रहे हैं उन तरीकों की जिन्हें अपनाकर छात्र पढ़ाई को आसान बना सकते हैं। आइए चर्चा करते हैं कुछ जरूरी बिन्दुओं  पर  जैसे पढ़ाई के नोट्स कैसे बनाएं,  खुद को विषय के साथ कैसे जोड़ें  और पढ़ाई उबाऊ लगने लगे तो क्या करें ? इत्यादि 

आज़ादी का अमृत महोत्सव: कुछ ध्यान रखने वाली बातें

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 आजादी के अमृत महोत्सव पर हमारे देश में हर घर तिरंगा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके लिए सरकार और सरकारी कर्मचारी अपने पूरे जोश और लगन से काम कर रहे हैं और हर घर में तिरंगा उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं।   दोस्तों यह बहुत अच्छी बात है कि हम अपने आज़ादी के पर्व को इतने गौरवपूर्ण तरीके से मनाने की कोशिश कर रहे हैं कि ताकि हर परिवार यह समझे कि वास्तव में आज़ादी का मतलब क्या है।  Image credit shuterstock  हम आजादी के अमृत महोत्सव पर इन 75 सालों में पलट कर देखते हैं  तो पाते हैं कि हमने भले ही बहुत कुछ न अर्जित किया हो लेकिन इतना तो अर्जित किया ही है कि उस पर गर्व कर सकें। चाहे पोखरण में परमाणु बम का परीक्षण हो या फिर अंतरिक्ष अभियान में आगे बढ़ना। कोरोना महामारी के दौरान दुनिया के देशों को सहयोग पहुंचाना हो या फिर आगे बढ़कर छोटे देशों को अपने अर्थव्यवस्था के माध्यम से मदद करने का काम हो। भारत ने एक से एक अच्छे काम किए हैं आज जिन कामों पर हम गर्व कर सकते हैं। आज भारत एक सशक्त देश के रूप में आगे बढ़ रहा है और हमारी सरकार को,  हमारे प्रधानमंत्री की लोग प्रशंसा करते हैं। दुनिया भर में भारती

हिन्दी पहेलियाँ (उत्तर)

पिछली पोस्ट में दी गई पहेलियों के उत्तर  1- मूली, 2- झाड़ू, 3- मोबाइल, 4- पंखा, 5- रोटी, 6-Facebook  क्या आपको पहेलियाँ अच्छी लगीं, अगर हाँ तो हम और भी गतिविधियां लेकर आयेंगे।   कृपया प्रतिक्रिया अवश्य दें। 

हिंदी पहेलियाँ

पहेलियाँ (उत्तर अगली पोस्ट में) Comments में उत्तर बताएं 

माउंटेन मैन' दशरथ मांझी (कविता)

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प्रेम में पहाड़ खोदते हुए कितनी ही नदियां बही होंगी स्वेद की, धरती माँ के आंचल पर, टपका ही होगा लहू उंगलियों से, या फट गई होंगी बिवाइयां; प्रियतमा के रुनझुन पांवों का स्वप्न देखते हुए, प्रेम के नाम पर विकास की इबारत लिखते हुए, तुमने कहा था! प्रेम राह बनाता है.., मिटाता नहीं Image credit google ओ पहाड़ पुरुष, शिलाओं सा धैर्य धारण कर,  तुमने ही जिया प्रेम का सच्चा अर्थ,  बेहाल पथिकों के पांवों पर;  अपने पसीने का मरहम लगाने   तुम्हारे हाथों ने थामी थी कुदाल, गर्भ धारित स्त्रियों की व्यथा को महसूस  तुमने जो राह बनाई, आज बच्चे उसी राह पर फुदकते हुए कहते हैं,  ओ मांझी काका! तुम होते तो हम तुम्हारा मस्तक चूमते और कहते! हम भी बनेंगे 'माउंटेन मैन'