15अगस्त कविता

आज़ादी के इस पावन पर्व पर आप सब को शुभकामनाएं 



पंद्रह अगस्त , पंद्रह अगस्त
पंद्रह अगस्त,  पंद्रह अगस्त

वो राजगुरु,  वो भगत सिंह
बिस्मिल हों या अशफ़ाक उल्ला
आज़ाद,  बोस  गांधी जी की
कुर्बानी नहीँ गई व्यर्थ।

रच रहे आज हम नव भारत
दुनिया में परचम लहराए
आज़ादी के मतवालो की
सीखो पर चलकर दिखलायें।

यह पर्व नहीं कोई घटना
झंडा फहराया,  भूल गए
इसकी कीमत नव पीढ़ी को
है जिम्मेदारी बतलायें,
जब हर गरीब,  हर दुःखी व्यक्ति
पूरी कर पाए हर इच्छा ,
आजाद देश का हर प्राणी
एक-दूजे का सम्मान करे
न धर्म जाति,  न रंग भाषा
न कोई इनमें भेद करे
ऐसा हो अपना देश आज
हर नर नारी खुशहाल रहे
पंद्रह अगस्त,  पंद्रह अगस्त
यह देश सदा आबाद रहे ।2।।

©️Aparna Bajpai

टिप्पणियाँ


  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (१५-०८ -२०२२ ) को 'कहाँ नहीं है प्यार'(चर्चा अंक-४५२३) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह अपर्णा !
    असली आज़ादी तो हमको तभी हासिल होगी जब हम साम्प्रदायिकता, जातिवाद, राजनीतिक षड्यंत्र, भ्रष्टाचार, अकर्मण्यता और अज्ञान के बन्धनों से मुक्त होंगे.

    जवाब देंहटाएं

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