नाक और इशारे
इशारे कर सकता है कोइ भी, विद्यालय का प्रधानाचार्य, आफिस में बॉस बाप की उम्र का पड़ोसी साथ बैठ कर काम करने वाला कलीग कभी कभी रिक्शेवाला भी. इशारे करना अफोर्ड कर सकता है हर मर्द गरीब-अमीर, मालिक -नौकर, आफीसर- मजदूर नपुंसक भी........ क्योंकि इशारों के बीच नाक नहीं आती!!!! नाक! हाँ नाक इशारे करने में नाक नहीं कटती...... साक्ष्य नहीं होता कोई भुक्तभोगी के पास, भद्दे इशारे करने के बाद भी; आप दिख सकते है सभ्य चल सकते हैं सीना तान, खुद पर पर्दा डाल लानत-मलामत कर सकते हैं अपने जैसों की. नाक कटती है उसकी जो करता है विरोध, जीने नहीं देता समाज मुंहजोर है, बढ़ाती है बात यही संस्कार दिए हैं माँ-बाप ने माँ-बाप की भी कट जाती है नाक न जाने बेटियों की कुर्बानी कब तक लेती रहेगी नाक! और; अश्लील हरकतें, भद्दे इशारे करने वाले नुमाइश करते फिरेंगे अपनी सही-सलामत नाक की. (Image credit google)