नाक और इशारे
इशारे
कर सकता है कोइ भी,
विद्यालय का प्रधानाचार्य,
आफिस में बॉस
बाप की उम्र का पड़ोसी
साथ बैठ कर काम करने वाला कलीग
कभी कभी रिक्शेवाला भी.
इशारे करना अफोर्ड कर सकता है हर मर्द
गरीब-अमीर, मालिक -नौकर, आफीसर- मजदूर
नपुंसक भी........
क्योंकि इशारों के बीच नाक नहीं आती!!!!
नाक!
हाँ नाक
इशारे करने में नाक नहीं कटती......
साक्ष्य नहीं होता कोई भुक्तभोगी के
पास,
भद्दे इशारे करने के बाद भी;
आप दिख सकते है सभ्य
चल सकते हैं सीना तान,
खुद पर पर्दा डाल लानत-मलामत कर सकते
हैं अपने जैसों की.
नाक कटती है उसकी जो करता है विरोध,
जीने नहीं देता समाज
मुंहजोर है, बढ़ाती है बात
यही संस्कार दिए हैं माँ-बाप ने
माँ-बाप की भी कट जाती है नाक
न जाने बेटियों की कुर्बानी कब तक लेती
रहेगी नाक!
और; अश्लील हरकतें, भद्दे इशारे करने वाले
नुमाइश करते फिरेंगे अपनी सही-सलामत
नाक की.
(Image credit google)
(Image credit google)
वाह, सभ्यता के नाम पर कीचड़ उछालने वाले गाल पर क्या तमाचा जड़ा है।
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी में एक अलग सी गर्मजोशी दिखती है।
साधुवाद, सुंदरता से बात रखने के लिए।
वाह!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.... सटीक....
सीना तान के चलते हैं अभद्र इशारे करने वाले...सही कहा...नाक तो उनकी होती ही नहीं कटनी कहाँ से है
बहुत खूब....
एक एक कलुषित विचारों की कुटील दृष्टि पर कितनी गहराई से मंथन कर दिया आपने सच मुच गहन दृष्टि और विस्तृत लेखन।
जवाब देंहटाएंसस्नेह साधुवाद अपर्णा आप को।
अप्रतिम रचना सत्य दिखाती।
शुभ दिवस।
समाज की बीमार मानसिकता का अंत तभी होगा जब सब विशेष कर पुरुष समाज इसके विरुद्ध खड़ा होगा ... ऐसे लोगों को सरे आम बेज्ज़त करना होगा ... गहरा विचार और सहज लेखन ...
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 14 जुलाई 2018 को लिंक की जाएगी ....http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत सही कहा आपने ..।सुंदर.
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