देखो मन का दर्पण

 ग्रहों और नक्षत्रों की चाल बदलती है,

बदल जाता है अच्छा वक्त बुरे में,

बुरा अच्छे में,

समय की सुई को कौन रोक पाया है,

जैसे रोका नहीं जा सकता वक्त,

रोकी नहीं जा सकती मन की गति 

सवेरा शाम में बदला नहीं जा सकता 

वापस नहीं लिए जा सकते शब्द,

ठहरो न!

देखो मन का दर्पण 

तुम कितना बदले हो ।।



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