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मंदिर में महिलाएं

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अधजगी नींद सी कुछ बेचैन हैं तुम्हारी आंखें, आज काजल कुछ उदास है थकान सी पसरी है होंठों के बीच हंसी से दूर छिटक गई है खनक, आओ न, अपनी देह पर उभर आए ये बादल, सृजन की शक्ति के सार्थक चिन्हों का स्वागत करो, पांवों में दर्द की सिहरन को उतार दो कुछ क्षण , राधे! आज मंदिर की शीतल सिला पर सुकून की सांस लो, सृष्टि की अनुगामिनी हो, लाज का नहीं, गर्व का कारण है ये, रजस्वला हो, लोक-निर्माण की सहगामिनी! मेरी सहचर! स्त्री के रज से अपवित्र नही होता  मैं, मंदिर और संसार फ़िर.. ये डर..क्यों?  कृष्ण ने राधा से कहा. #AparnaBajpai

#me too

भीतर कौंधती है बिजली, कांप जाता है तन अनायास, दिल की धड़कन लगाती है रेस, और रक्त....जम जाता है, डर बोलता नहीं कहता नहीं, नाचता है आंख की पुतलियों के साथ, कंपकंपाते होंठ और थरथराता ज़िस्म, लुढ़कता है आदिम सभ्यता की ओर, तन पर कसे कपड़े होते तार-तार आत्मा चीखती है घुट जाती आवाज़ भीतर ही,  बच्ची... जैसे जन्म से होती है जवान, वासना की लपलपाती जीभ भस्म कर देती है सारे नैतिक आवरण, आवाज़ तेज कर लड़की, बाज़ार के ठेकेदार, भूल रहे है तुम्हारी कीमत डरना गुनाह है, डराया जाएगा आजन्म, पर हिम्मत भीतर ही है, खोजो और खींच लाओ बाहर! तुम्हारे सच पर भरोसा है, तुम्हे भी, मुझे भी मैं भी हूँ तुम्हारी आवाज़ में, ऐ जांबाज़ हमसफ़र भरोसा!! #me too

उम्र का हिसाब

उस दिन कुछ धागे बस यूं ही लपेट दिए बरगद में, और जोड़ने लगी उम्र का हिसाब उंगलियों पर पड़े निशान, सच ही बोलते हैं, एक पत्ता गिरा, कह गया सच, धागों से उम्र न बढ़ती है, न घटती है, उतर ही जाता है उम्र का उबाल एक दिन, जमीन बुला लेती है अंततः बैठाती है गोद, थपकियों में आती है मौत की नींद, छूट जाते हैं चंद निशान धागों की शक्ल में..... बरगद हरियाता है, हर पतझड़ दे बाद, जीवन भी......