उम्र का हिसाब
उस दिन कुछ धागे
बस यूं ही लपेट दिए बरगद में,
और जोड़ने लगी उम्र का हिसाब
उंगलियों पर पड़े निशान,
सच ही बोलते हैं,
एक पत्ता गिरा,
कह गया सच,
धागों से उम्र न बढ़ती है,
न घटती है,
उतर ही जाता है उम्र का उबाल एक दिन,
जमीन बुला लेती है अंततः
बैठाती है गोद,
थपकियों में आती है मौत की नींद,
छूट जाते हैं चंद निशान
धागों की शक्ल में.....
बरगद हरियाता है,
हर पतझड़ दे बाद,
जीवन भी......
बस यूं ही लपेट दिए बरगद में,
और जोड़ने लगी उम्र का हिसाब
उंगलियों पर पड़े निशान,
सच ही बोलते हैं,
एक पत्ता गिरा,
कह गया सच,
धागों से उम्र न बढ़ती है,
न घटती है,
उतर ही जाता है उम्र का उबाल एक दिन,
जमीन बुला लेती है अंततः
बैठाती है गोद,
थपकियों में आती है मौत की नींद,
छूट जाते हैं चंद निशान
धागों की शक्ल में.....
बरगद हरियाता है,
हर पतझड़ दे बाद,
जीवन भी......
एक पत्ता गिरा,
जवाब देंहटाएंकह गया सच,
धागों से उम्र न बढ़ती है,
न घटती है,
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना 🙏
सादर आभार अभिलाषा जी
हटाएंबरगद हरियाता है,
जवाब देंहटाएंहर पतझड़ दे बाद,
सुंदर जीवन दर्शन
बहुत-बहुत आभार आदरणीय
हटाएंसादर
अच्छी कही।
जवाब देंहटाएंबरगद हरियाता है,
जवाब देंहटाएंहर पतझड़ दे बाद,
जीवन भी......'
बहुत ही सार्थक चिन्तन किया प्रिय अपर्णा -- बरगद और जीवन के पतझड़ बहाने से | सस्नेह शुभकामनायें |
Bejod .
जवाब देंहटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०८ अक्टूबर २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
समय बहुत कुछ एहसास करा जाता है ... उम्र का हिसाब भी एक है उनमें से ... एक सोच रह जाती है बस ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना ...
बहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंएक पत्ता गिरा,
कह गया सच,
धागों से उम्र न बढ़ती है,
न घटती है,
वाह!!!
बहुत लाजवाब...
बहुत सरल एवं समृद्ध भावों की प्रस्तुति। सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएं