#me too

भीतर कौंधती है बिजली,
कांप जाता है तन अनायास,
दिल की धड़कन लगाती है रेस,
और रक्त....जम जाता है,
डर
बोलता नहीं
कहता नहीं,
नाचता है आंख की पुतलियों के साथ,
कंपकंपाते होंठ और थरथराता ज़िस्म,
लुढ़कता है आदिम सभ्यता की ओर,
तन पर कसे कपड़े
होते तार-तार
आत्मा चीखती है
घुट जाती आवाज़ भीतर ही,
 बच्ची... जैसे जन्म से होती है जवान,
वासना की लपलपाती जीभ
भस्म कर देती है सारे नैतिक आवरण,
आवाज़ तेज कर लड़की,
बाज़ार के ठेकेदार,
भूल रहे है तुम्हारी कीमत
डरना गुनाह है,
डराया जाएगा आजन्म,
पर हिम्मत भीतर ही है,
खोजो और खींच लाओ बाहर!
तुम्हारे सच पर भरोसा है,
तुम्हे भी, मुझे भी
मैं भी हूँ तुम्हारी आवाज़ में,
ऐ जांबाज़ हमसफ़र
भरोसा!!
#me too



टिप्पणियाँ

  1. #मीटू अभियान की सफलता ने महिलाओं को ताक़त दी है. जो लोग इससे सबक़ लेना चाहते हों वे आज समझ सकते हैं कि परिस्थितियाँ कभी भी बदल सकती हैं. अब महिला सुरक्षा सम्बंधी क़ानूनों के सख़्त होने से पुरुष की दमनकारी सोच पर अंकुश लगेगा. अत्याचार को सहना भी एक प्रकार का ज़ुर्म है.
    ज्वलंत प्रश्न को ओजस्विता के साथ प्रस्तुत करती अभिव्यक्ति.
    बधाई एवम् शुभकामनाएं.

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  2. भावपूर्ण रचना सुन्दर रचना...

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  3. संवेदनशील तथ्यों की भाव पूर्ण प्रस्तुति ।

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/10/2018 की बुलेटिन, ग़ज़ल सम्राट स्व॰ जगजीत सिंह साहब की ७ वीं पुण्यतिथि “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. अत्याचार को सहना भी एक प्रकार का ज़ुर्म है.-----पहले आप एक जुर्म करती रहीं अपने व्यकिगत स्वार्थ हेतु -----अब काम निकल जाने पर बीर-बहूटी का मुफ्त में ही खिताब ----

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  7. तुम्हारे सच पर भरोसा है,
    तुम्हे भी, मुझे भी
    मैं भी हूँ तुम्हारी आवाज़ में,
    ऐ जांबाज़ हमसफ़र
    भरोसा
    Me too
    मन झकझोरने वाली रचना... बहुत हृदयस्पर्शी...
    वाह!!!

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  8. खुद पे भोस रखने का ... साहस से हर दुःख बयां कर देने का एक सफल आयोजन है यह ... जो पहले नहीं हुआ वो अब होने में कोई बुराई नहीं है ... बहुत प्रभावी और सामयिक रचना है ...

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  9. एक प्रभावशाली अभियान..पर सुंंदर अभिव्यक्ति

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  10. बहुत गहरे भाव बहुत सरल भाषा मैं आपने व्यक्त किये हैं ,देर से ही सही किन्तु सच सामने आ ही जाता हैं

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  11. 'मी टू' के साथ कितने 'यू टू?' भी जुड़े हुए हैं. 'मी टू' की अनगिनत अनकही कहानियां सदियों से हमारे देश को नर्क बना रही हैं और हमारी संस्कृति को कलंकित कर रही हैं. और हम पुरुष रूपी दुश्शासन शक्ति की पूजा करने के बाद किसी का चीर-हरण करने के लिए निकल पड़ते हैं. बहुत सुन्दर और विचारोत्तेजक रचना !

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  12. सराहनीय और अति संवेदनशील रचना ।

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