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फ़रवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बच्चे की बात (कविता)

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आज मैंने आसमान में टंगी हुई इक रोटी देखी चम-चम, चम-चम चमक रही थी, रोटी पाना, क्या आसमान पाने जैसा है? खाली मूली चांद देखकर क्या होता है पेट नही भरता अपना है.... नींद हिलोरें देकर भी जाने कहाँ सरक गई है, जब जब जलती बत्ती कोई दूर रोड पर, मइया की धोती में थोड़ा और पसरते, हो सकता बूंद एक दो बची हुई हों... गोल-गोल रोटी के ऊपर रखी मलाई, मिल जाएगी जिस दिन... समझूंगा तुम सच में हो! मंदिर भीतर मंद-मंद जो मुस्काते हो हाँथ में पकड़े हुए हो जो बंशी तुम! इधर उछालो तो जानूं कि सच्चे हो तुम! Picture credit google अपर्णा बाजपेयी

अविवाहिता

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  गेसुओं में खिले गुलाब तरोताज़ा थे  उन हांथों के स्पर्श से भोर में जो रख देते थे माथे पर एक मीठा चुम्बन, उसने नहीं देखा था सुबह का सूरज कभी,  माँ के चरणों से छनती स्नेह-धूप हजार सूरजों पर भारी थी... चाय की कप के लिए मधुर पुकार ने उसे इश्क़ के समंदर से खींच लिया था... उम्र के ज्वर से कांपते शरीर अम्बर में टंके चाँद से ज्यादा कीमती थे... कुबूल है बोलने की जगह कुबूला था उसने जन्मदाता के लिए नरम छांव बनना उम्र की जमा पूंजी चन्द स्मृतियाँ थी; जो मृत्यु की राह तक सहचर हुईं... picture credit  @siddhant अपर्णा बाजपेयी

घमंडी पतंग (बाल कहानी)

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 हमारा व्यवहार कैसा हो, यह जानने के लिए सुने और बच्चों को सुनाएं बाल कहानी- "घमंडी पतंग कहानी पसंद आये तो like और share जरूर करें। अपर्णा बाजपेयी

'चल बिटिया स्कूल चलें हम '

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आज प्रस्तुत है बच्चों के लिए लिखी गई विश्वमोहन कुमार की कविता 'चल बिटिया स्कूल चलें हम ' हमारे You Tube chanal Indradhanushi duniya पर.... आप भी हमारे साथ अपनी कहानियां, कविताएं शेयर कर सकते हैं इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचायें... अपर्णा बाजपेयी