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मेरे जाने के बाद

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मेरे जाने के बाद   मुझे तुम ख़ुद से बाहर निकाल देना, उस बरस जैसे निकाल फेंका था वह पूरा महीना; जो हमने एक दूसरे से दूर गुजारा था, याद तो जरूर होगा तुम्हे! तुम कहते हो बुरे वक्त को निकाल फेंको जीवन से, अच्छे दिनों की मियाद खुद ब खुद बढ़ जाती है, जैसे बालों से निकाल दिया जाता है मुरझाया फूल, पैरों से कांटा, उधारी की याद, विरह की रात, छोड़ देना मुझे भी उस ज़ख्म की तरह  जिसे भरने के लिए भूलना पड़ता है।।