असलियत का सामना( किस्सा बालों का)
फैशन करना किसे अच्छा नहीं लगता! खूबसूरत बाल, चमकदार आंखें, उजली रंगत, खशबू उड़ाती अदा और न जाने क्या क्या... तो दोस्तों मारे तो हम सब हैं फैशन के... कभी कभी हम खुद को थोड़ा अलग दिखाना चाहते हैं... और इसके लिए भारी मशक्कत भी करते है. लेकिन क्या हो अगर भरे बाज़ार हमारा असली रूप सामने आ जाये। तो किस्सा कुछ यूं है कि, अरशद मियाँ क्या गबरू जवान हट्टे-कट्टे आदमी थे एक बार में चार आदमियों को धूल चटा देने वाले... मोहल्ले में उनके जैसा दिखने वाला दूसरा आदमी न था। घर में बूढ़े बाप के अलावा और कोई न था। बेचारे जल्द से जल्द शादी करना चाहते थे। खाला और फूफियों ने कई रिश्ते भी दिखाए थे पर बात बन न पाई थी। समस्या थी उनके बाल! जो दिनों दिन संख्या में कम होते जा रहे थे। अब टकला होना किसे अच्छा लगता है... बेचारे हर महीने हज़ारों रुपये अपने बालों को बचाने में खर्च करते। गूगल बाबा की शरण में जा-जा कर नए नए नुस्ख़े तलाशते और उन्हें अपने बालों पर आजमाते, पर वही ढाक के तीन पात!! बालों का गिरना बदस्तूर जारी था। एक दिन ख़ाला ने कहा कि एक खूबसूरत लड़की मिल गई है... जल्द से जल्द आकर देख लो नहीं तो वह भी हाँथ से निकल ज