नया कुछ रचना है

पानी में रहना है
मगर से लड़ना है
किस्सों की दुनिया में
नया कुछ रचना है।

होशियार से होशियारी की
लोहार से लोहे की
पेड़ों से लकड़ी की
शिकायत नहीं करते हैं।

आंखों से पानी को
भरे घर से नानी को
बैलों से सानी को
अलग नहीं करते हैं।

बातों में मिठास को
दावत में लिबास को
बीमारी में उपवास को 

दरकिनार नहीं करते हैं।।


©️ अपर्णा बाजपेई

टिप्पणियाँ

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचना को मंच पर स्थान देने इसे लिए सादर आभार स्वेता जी

      हटाएं
  2. वाह! क्या बात है। अनुप्रासम सुंदर रचना!--ब्रजेंद्रनाथ

    जवाब देंहटाएं
  3. क्या बात है ! बहुत प्रभावी रचना है यह आपकी । सरल एवं बोधगम्य तथा साथ ही अविस्मरणीय भी । अभिनंदन ।

    जवाब देंहटाएं

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