नया कुछ रचना है
पानी में रहना है
मगर से लड़ना है
किस्सों की दुनिया में
नया कुछ रचना है।
होशियार से होशियारी की
लोहार से लोहे की
पेड़ों से लकड़ी की
शिकायत नहीं करते हैं।
आंखों से पानी को
भरे घर से नानी को
बैलों से सानी को
अलग नहीं करते हैं।
The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो - दो हाँथ करती कवितायें ) आँखों में आयी चमक की तरह कुछ चंचल Quotes..... आपके दीदार और प्रतिकियाओं का इंतज़ार कर रहे हैं.......
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
रचना को मंच पर स्थान देने इसे लिए सादर आभार स्वेता जी
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंजी आभार
हटाएंसादर
सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद sir
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आलोक जी सादर
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बधाई
बहुत शुक्रिया sir
हटाएंवाह! क्या बात है। अनुप्रासम सुंदर रचना!--ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंक्या बात है ! बहुत प्रभावी रचना है यह आपकी । सरल एवं बोधगम्य तथा साथ ही अविस्मरणीय भी । अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
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