झरबेरिया के बेर
आज झरबेरिया का किस्सा सुनो दोस्तों!
तो हुआ यूं कि एक दिन राम खेलावन चच्चा बैठे रहे अपने दुआर पर। तब तक पियरिया अपनी झोरी में झड़बेरी के बेर लेकर खाते हुए निकली और राम खेलावन के दरवाज़े के बाहर गुठली थूक दी। राम खेलावन सब देख रहे थे। वहीं से चिल्लाए... ऐ पियारी एने आओ... उठाओ गुठली, दरवाज़े दरवाजे थूकती चलती है। पीयारी सहम गई... ई राम खेलावन चच्चा कहां से देख लिए.. अब हो गया सत्यानाश..
पियारी लौट के अाई का ,हुआ चच्चा... आवाज़ दिए थे का...
चच्चा का पारा सातवें आसमान पर..
देखो इसको.. दरवाजे पर गुठली थूक के कहती है आवाज़ दिए थे का.. ई गुठली उठाओ और भागो यहां से.. पियारी लजा गई। चच्चा आज नहीं छोड़ेंगे। दुवार पर गिरे एक- एक पत्ता को अपनी जेब में रखने वाले राम खेलावन आज दरवाजे पर किसी का थूक कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं। बात सही है चच्चा की। तब तक मोहल्ला के और लोग इकट्ठा हो गए।
अपनी ही थूकी हुई गुठली उठाने में पियारी को बहुत शर्म अा रही थी वो भी सबके सामने। झट से चच्चा के सामने झोली फैलाते हुए बोली, चच्चा तनी खाके देखो ई बेर। हिया खटिया पर रख रहे हैं, अभी गुठली उठा के फेंक देंगे। तनी मिठास देखो बेर की। ऐसे झरबेरिया के बेर पूरे चौहद्दी में नहीं है ।
लाल, पीले, गुलाबी बेर देख के चच्चा की आंखों में जो चमक अाई की दुवार पर का थूक भूल गए। चच्चा ख़ाके के देखो, खाने के लिए पियारी जोर देने लगी। खट्ठे, मीठे बेर देख के किसका हांथ रुकता है। इकट्ठा भीड़ भी एक एक बेर उठाने लगी और चच्चा तो जैसे टूट पड़े।
दुवार और गुठली सब भूल गए। पियारी मौका देख के निकल ली। बोली, चच्चा बेर खाइए हम अभी अा रहे हैं। वहां इकट्ठा भीड़ ने भी बेर खाए और गुठली वहीं थूकी।
पियारी़ जा चुकी थी और बेर तोड़ने और राम खेलावन चच्चा झाड़ू लिए दुवार साफ कर रहे थे।
चच्चा सोच रहे थे सच में मति मार देते हैं ये झरबेरी के बेर...
अबकी आने दो पियारी को पूरा दुवार न साफ़ कराया तो कहना!
©️ अपर्णा बाजपेई
Image credit Google
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2015...लाख पर्दों में छिपा हो हीरा चमक खो नहीं सकता...) पर गुरुवार 21 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवींद्र जी
जवाब देंहटाएंरचना को मंच पर साझा करने के लिए सादर आभार
सुन्दर लेखन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रसंग |
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आलोक जी
हटाएंसादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह! झरबेरिया के मीठे बेर-सी मीठी रचना!!!
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