बिकाऊ लोग
वे घुलते रहे हम कहकहे लगाते रहे, Image credit to freepic वे गिरे हमें हंसी आई , वे भूख से बिलबिला रहे थे हम भरे पेट डकार रहे थे, उन्होंने एक कहानी कही ;रोटी की हमने विकास का राग अलापा, दुनिया ने सुना हमारा राग हमने बंद कर दिए सबके मुँह लालच ठूंस कर वे हमारी आवाज़ के इंतज़ार में हैं और हम बढ़ने वाले बैंक बैलेन्स के। । #मीडिया