बिकाऊ लोग
वे घुलते रहे
हम कहकहे लगाते रहे,
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वे गिरे
हमें हंसी आई ,
वे भूख से बिलबिला रहे थे
हम भरे पेट डकार रहे थे,
उन्होंने एक कहानी कही ;रोटी की
हमने विकास का राग अलापा,
दुनिया ने सुना हमारा राग
हमने बंद कर दिए सबके मुँह लालच ठूंस कर
वे हमारी आवाज़ के इंतज़ार में हैं
और हम बढ़ने वाले बैंक बैलेन्स के। ।
#मीडिया
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(३०-०९ -२०२२ ) को 'साथ तुम मझधार में मत छोड़ देना' (चर्चा-अंक -४५६८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
शुक्रिया अनीता जी, सादर
हटाएंएसी कमरे में ठिठुरता हूँ मैं तो दिन भर
जवाब देंहटाएंजून की धूप में आराम से वो बोझा ढोए
आपको ठिठुरने की सुविधा है, उसका आनंद लें।
हटाएंसादर
उन्होंने एक कहानी कही ;रोटी की
जवाब देंहटाएंहमने विकास का राग अलापा,
वाह!!!
बहुत सटीक...