इश्क हकीम

 इश्क हकीम 


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उसने कहा, तुमसे मिलकर जिंदगी गुड़ गोबर हो गई ,

 मैंने सोचा गुड़ तो ठीक है लेकिन गोबर!

 मैने कहा, बात कुछ हजम नहीं हुई,

वह बोला, अजवाइन फांक लो हजम हो जायेगी,

वह प्रेम को पचाने के नुस्खे बताता रहा,

और मैं उस हकीम को आदमी बनाने की तरकीबें खोजती रही।।


©️ Aparna Bajpai

टिप्पणियाँ

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 02 सितंबर 2022 को 'रोता ही रहता है मेरे घर का नल' (चर्चा अंक 4540) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

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  3. क्या बात है प्रिय अपर्णा! इश्क़ को शायद अन्धा इसीलिये कहा जाता है कि जो होता है वो कभी दिखाई नहीं देता।

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  4. अच्छा लगा। शब्द शिल्प बहुत भाया। धन्यवाद

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