|
PC Naresh Agrawal's FB wall |
भुट्टे का सुख वही जानता है
जो जानता है बारिश की बूँदों का माधुर्य,
बीच राह चलते हुए जो पकड़ लेता है प्रेमिका का हांथ,
नन्हें बच्चे की हंसी जिसके कानों में गूंजती है देर तलक ,
वह जो अभी-अभी कहकर आया है विदा; अपने अंतिम प्रेम से,
जिसके सिरहाने मां की बिंदी का पत्ता रखा है,
जो जानता है खेत की मेड़ काटकर पानी लगाने का सुख,
जिसने भोर के तारे के इंतजार में काटी है रात,
सड़क के किनारे भुन रहे भुट्टे के साथ दौड़ पड़ती हैं कुछ स्मृतियां,
माटी की महक,
रोटी बनाते हुए उँगलियों का जलना,
अम्मा के आंचल में पोछ लेना मुँह,
भुट्टे के हर दाने के साथ महसूसता है जो आधा-आधा बांटने का सुख ,
वही बचाए रख पाता है पाषाण होते समय में अंजुरी भर पानी,
जैसे बची रहती है भुने हुए दाने में असली मिठास। ।
©️Aparna Bajpai
मन को छूते बहुत सुंदर भाव।
जवाब देंहटाएंश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन
जवाब देंहटाएं