आहिस्ता -आहिस्ता

 समय हो तो अपनी हथेली पर भी रख लेना एक फूल,

घूम आना स्मृति के मेले में,

कहानी की किताब में झांक कर, कर लेना बातें 

' पंडित विष्णु शर्मा ' से,

या घर ले आना ' नौकर की कमीज़ '

सुन लेना रजनीगंधा की फूल

या ठुमक लेना ' झुमका गिरा ' की धुन पर

कह लेना खुद से भी "Relax !

चंद कदम ही तो हैं,

चल लेंगे आहिस्ता-आहिस्ता

हम भी, तुम भी।।




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