आहिस्ता -आहिस्ता
समय हो तो अपनी हथेली पर भी रख लेना एक फूल,
घूम आना स्मृति के मेले में,
कहानी की किताब में झांक कर, कर लेना बातें
' पंडित विष्णु शर्मा ' से,
या घर ले आना ' नौकर की कमीज़ '
सुन लेना रजनीगंधा की फूल
या ठुमक लेना ' झुमका गिरा ' की धुन पर
कह लेना खुद से भी "Relax !
चंद कदम ही तो हैं,
चल लेंगे आहिस्ता-आहिस्ता
हम भी, तुम भी।।
कविता को मंच पर प्रस्तुत करने के लिए सादर आभार
जवाब देंहटाएंहम भी, तुम भी
जवाब देंहटाएंचल लेंगे
चंद कदम ही तो है
चल लेंगे
आहिस्ता
बेहतरीन चिंतन
आभार
वाह! बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंआभार, सादर
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन 🙏
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