घूँट--घूँट प्यास


( नोट- कविता में बेवा के घर को सिर्फ एक प्रतीक के तौर पर) पढ़ें।

टिप्पणियाँ

  1. जलवा दिया ना बेवा का घर
    कब से कर रहे हैं सचेत
    लेकिन चेतने को कोई तैयार ही नहीं।

    बेहतरीन रचना

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  2. शब्दों पर आप की पकड़ लाजवाब है। और सोने पे सुहागा उसके भाव। विषय चयन बेहद शानदार। अद्भुत !!!

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  3. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/05/69.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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