उस बरस (कविता)

 उस बरस

जब फरवरी लू के थपेड़ों में जली ,

मार्च ने प्यास से झांका तो पाया सूखा कुंआ,

नदी उदास हो खो गई खुद में 


हम उस बरस तेरे होने को तरसते रहे 

अकेले पलाश जंगल में भटकते रहे। 


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Aparna Bajpai (Copyright reserved) 

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