उस बरस (कविता)
उस बरस
जब फरवरी लू के थपेड़ों में जली ,
मार्च ने प्यास से झांका तो पाया सूखा कुंआ,
नदी उदास हो खो गई खुद में
हम उस बरस तेरे होने को तरसते रहे
अकेले पलाश जंगल में भटकते रहे।
![]() |
P C to FB wall of @Binit Kumar Mohanta |
Aparna Bajpai (Copyright reserved)
बहुत सुंदर। होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं