उस बरस (कविता) को जून 14, 2025 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप उस बरसजब फरवरी लू के थपेड़ों में जली ,मार्च ने प्यास से झांका तो पाया सूखा कुंआ,नदी उदास हो खो गई खुद में हम उस बरस तेरे होने को तरसते रहे अकेले पलाश जंगल में भटकते रहे। P C to FB wall of @Binit Kumar Mohanta Aparna Bajpai (Copyright reserved) टिप्पणियाँ Nitish Tiwary7 मार्च 2023 को 11:53 am बजेबहुत सुंदर। होली की हार्दिक शुभकामनाएं।जवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंटिप्पणी जोड़ेंज़्यादा लोड करें... एक टिप्पणी भेजें
बहुत सुंदर। होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
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