Mask, marriage, lock down

कल जून 2020 के अंतिम दिन झारखंड में तीरंदाजी के दो धनुर्धरों ने शादी की । दीपिका कुमारी और अतनु दास। दोनो बचपन से साथ में तीरंदाजी सीख रहे थे, वक्त के साथ उनका प्रेम परवान चढ़ा और अंततः शादी के पवित्र बंधन ने दोनो को जीवन भर के लिए साथ कर दिया। 

यह तो थी दीपिका कुमारी की शादी की बात लेकिन इस शादी में जो सबसे अहम बात थी वह थी मास्क पहनने की अनिवार्यता और इसके लिए विशेष सुरक्षा इंतजाम। Kovid- 19 के दौर में भारतीय परम्परागत विवाह का इंतजाम और महामारी से बचाव के लिए अपनाए गए पुख्ता तौर तरीके। हालांकि  इस शादी में सरकार के निर्देशों से अधिक मेहमानों की उपस्थिति और सामाजिक दूरी न कायम रखने के कारण नोटिस जारी किया गया है।

क्या इस तरह लॉकडाउन से पहले किसी विवाह में स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इतनी तैयारी की गई होगी और कम से कम मेह मानों को बुलाने के बारे में सोचा गया होगा। शायद नहीं जबकि विवाह स्वास्थ्य से ज्यादा महत्वपूर्ण तो नहीं है। लोग स्वस्थ होंगे तभी विवाह जैसे आयोजन उत्सव में बदल पाएंगे। तो इस विषय पर हम क्यों नहीं सोचते। इस दौर में कुछ और शादियां हुई और उनमें भी सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 50 से कम लोगों को इकट्ठा किया गया और मास्क पहनने की अनिवार्यता बरती गई।
कम मेहमान, कम इंतज़ाम और कम ताम-झाम ने लड़की और लड़के दोनो के परिवारों के लिए सिरदर्द कम कर दिया और मास्क ने सुंदरता के पैमाने पर तौले जाने के लिए सबके मुंह पर सिलिप लगा दी। 
शादियों में लड़की के लिए सबसे बड़ी चुनौती सुंदर लगना और दूसरों की टीका टिप्पणी को झेलना होता है। इस लॉक डाउन ने दूलहन के सिर से यह बोझ उतार दिया।
कम लोगों के बीच दो परिवारों या दो लोगों की आपसी रजामंदी से होने वाली शादियों को सरकार को हमेशा के लिए नियम बना देना चाहिए। यह गैर जरूरी खर्चों पर लगाम लगाएगा और दहेज के लिए होने वाली हत्याओं को कम करेगा।  सभी शादियों के लिए सरकार को एक निश्चित रकम तय कर देनी चाहिए और दिए जाने वाले उपहार भी रकम के अंदर शामिल करने चाहिए। छोटी पार्टिया , कम लोग, स्वास्थ्य, स्वच्छता को प्राथमिकता और कम बजट समाज के मध्य वर्ग को शादी के लिए लिये जाने वाले कर्ज , दहेज हत्या, अवसाद , और मानसिक तौर पर होने वाले शोषण से निजात दिला सकता है और लॉक डाउन दौर की यह सीख समाज की कई समस्याओं को दूर कर सकती है। 


टिप्पणियाँ

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2.7.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा -3750 पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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    1. दिलबाग जी मंच पर जगह देने के लिए सादर आभार
      देर से आने के लिए क्षमा चाहती हूँ ..

      सादर

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  2. स्वागत नव दम्पति का और विवाह समारोह में उनके अनुकरणीय और संवेदनशील व्यवहार का जो समाज को स्वास्थ्य के प्रति व्यक्तिगत और सामूहिक चेतना की भावना जगाता है। स्वागत आपके सुझाव का भी। किंतु प्रश्न उठता है कि क्या व्यक्ति और समाज का यह कर्तव्य नहीं है कि अपने सामुदायिक उत्तरदायित्वों का वह स्वतः अनुपालन करे। इन कामों में भी हम सरकार के दंड-विधान की ही अपेक्षा रखें!

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    1. आपकी प्रतिक्रिया बिलकुल सही है लेकिन समाज अगर अपनी जिम्मेदारे वास्तव में समझता होता तो शायद हजारों परिवार शादी के लिए क़र्ज़ तले दबे न होते, नवविवाहित लड़कियां आत्म हत्या न करती ..... क़ानून का डर बड़ा डर होता है .....
      शायद उसी डर से लोग थोड़ा संभल जाएँ ...

      सादर

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  3. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरूवार 02 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. मंच पर स्थान देने के लिए बहुत आभार रवीन्द्र जी
      सादर

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  4. वाकई यह अनुपम सीख समाज की कई समस्याओं को दूर कर सकती है।

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