मीत हमारे


कस्ती , नदिया ,पंछी ,पर्वत
घर लौटे थे मीत हमारे ,
सुख की सब्जी , दाल हंसी थी
रोटी सी मुस्काने उनकी।
दाना दाना रंग बिखेरे ,
हंसी ठिठोली थाली थाली ,
मुँह में जीवन , पेट में जीवन ,
रूह हमारी सुख का सावन।
उनका आना सुखी ज़िंदगी ,
उनका जाना मौत वीरानी।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट