मीत हमारे को जुलाई 03, 2017 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप कस्ती , नदिया ,पंछी ,पर्वत घर लौटे थे मीत हमारे , सुख की सब्जी , दाल हंसी थी रोटी सी मुस्काने उनकी। दाना दाना रंग बिखेरे , हंसी ठिठोली थाली थाली , मुँह में जीवन , पेट में जीवन , रूह हमारी सुख का सावन। उनका आना सुखी ज़िंदगी , उनका जाना मौत वीरानी। टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें