खुशबुओं का ख़ुमार

होठों पे राखी आग और हाथों में हिमालय ',
कितना तेज़  है उनकी आँखों में खुशबुओं का ख़ुमार।
पास आने से डर है फ़ना हो जाने का ,
काश ज़िंदा रहे रूहों का ठिकाना तब तक ;
जब तक
बर्फ पिघलने का मौसम न आये ,
फूलों की पंखुड़ियां मुरझाने न लगें ,
सर्द रातों में ओस की बारिश न थमे ,
उनके जाने की घड़ी बीत न जाये।



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