पूर्णता की ओर

किसी के आने का इंतजार,
देखने और मिलने की चाहत,
बीतते समय का डर,
कल में कुछ और नया जुड़ जाने की संभावना,
एहसासो के मर जाने की चिंता ,
जीत कर भी सब कुछ हार जाने की चाहत ,
उपहार में अनचाही चीजें मिलने की खुशी,
मुस्कुराते हुए अश्कों को पोछने की अभिलाषा
और ; मौन के मुखर होने की प्रतीक्षा

क्या यही सब नहीं चलता रहता है मन में ;
जब तक अपनी पूर्णता की ओर नहीं बढ़ जाता। 

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