बोलो साथी बोलो !


मै किसी दिन आऊंगा तुम्हारे घर ,
बैठूंगा तुम्हारे पास ,
गोली बारूद की बातें करूंगा ,
तुम्हारे गुस्से को भड़काऊंगा,
व्यवस्था के खिलाफ़ उठ खड़े होने के लिए उकसाऊंगा,
देश के ख़िलाफ़ हो रही साजिशों से अवगत कराऊँगा;
और तुम !
सुनोगे चुपचाप !
मिलाओगे मेरी हाँ में हाँ ,
अपने ही पड़ोस में बने धर्मस्थल को उड़ाने के लिए हो जाओगे तैयार ,
जिसमे उड़ जायेंगे तुम्हारे भी परखच्चे;
क्योँ कि मै करूंगा धर्मं की झूठी व्याख्या ,
लालच दूंगा तुम्हारे परिवार के उज्जवल भविष्य का ,
सुनहरे सपने दिखाऊंगा,
साथी ! 
क्या तुम एक बार भी नहीं बोलोगे ?
एक भी दलील नहीं दोगे इंसानियत के नाम पर.......
मै चाहता हूँ  तुम करो मेरा विरोध ,
धक्के मार कर निकाल दो मुझे अपने घर से ,
मेरी तरह उस जाल में मत फंसो ,
जिसका मकसद सिर्फ निर्मम हत्याएं करना हो ,
धर्म जीवन देना है साथी जीवन लेना नहीं

अपना धर्म मानो मेरा अधर्म नहीं .



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