२ प्रेम कवितायें

१- तुमने कहा पूजा
मै चुप रही ,
तुमने कहा आशा
मै मुस्कुराई ,
तुमने कहा नैना
मैंने तुम्हे देखा ,
तुमने कहा खुशी
मै खिलखिलाई,
तुमने कहा धरती
मैंने थाम लिया तुमको ,
जब मैंने कहा आकाश
तुम दूर होते गए ,
इतनी दूर कि मै तुम्हे छू न सकूं
तुमसे कुछ कह न सकूं
देती रहूँ दुनिया को भुलावा
क्षितिज की तरह.
कि धरती और आकाश एक हो गए !


२ - मैंने कहा था मत वादा करो मुझसे
अपने वापस लौट आने का
न जाने कब बदल जाए मेरा पता ;
और तुम भटकते रहो इधर उधर
अपने गतव्य  तक न पंहुच पाने वाले पत्र  की भांति।

टिप्पणियाँ

  1. सुन्दर प्रस्तुति !
    आज आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा अप्पकी रचनाओ को पढ़कर , और एक अच्छे ब्लॉग फॉलो करने का अवसर मिला !

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