देर हो चुकी थी
पिछले तीन दिन से गज़ब का उत्साह आ गया था उसके अंदर , लग रहा था जैसे अब भी देर नहीं हुयी है । सोच रही थी किसी को कुछ बताये या नहीं। फिर सोचा कि नहीं, सब कुछ फाइनल होने के बाद ही बतायेगी। कल इंटरव्यू है। क्या पहनेगी ? कपड़े निकाल कर रख दूं. नहीं पहले पार्लर हो आती हूँ। बाल ठीक करा लूं। कपड़े बाल सब ठीक होते हैं तो कॉन्फिडेंस रहता है।
पिछले एक साल से उसने खुद को आईने में ठीक से देखा तक नहीं है। दो साल पहले उसने नौकरी के लिए आवेदन किया था। तब से जब भी कंही आवेदन करती है कहीं से कोई जवाब नहीं आता। घर में सब कहते अब तुम घर बैठो. नौकरी के ख्वाब छोड़ दो। ज़रा अपनी उम्र देखो। सैतीस साल में कंही नौकरी मिलती है। जब बाईस पचीस वाले आगे खड़े हों तो चालीस साल वालों को कौन पूछता है। डिग्री अपने बैग में रखो और चूल्हा झोंको।
परसों, दो साल पहले दिए आवेदन का एक काल लेटर आया था. उस कागज़ पर अपने नाम को देखकर वह जैसे आसमान में उड़ने लगी थी।
पार्लर गयी , बाल ठीक करवाए। घर आकर एक सोबर सी साड़ी निकाल कर रखी. अगले दिन की पूरी प्लानिंग की। खाना क्या बनाकर रखेगी। बेटे को किसके पास छोड़ कर जायेगी। सब कुछ.
रात भर उत्साह से उसे नीद नहीं आयी। जाने इंटरव्यू में क्या क्या पूछा जायेगा। इंटरव्यू अंग्रेज़ी में होगा या हिन्दी में। वह जवाब दे भी पायेगी या नहीं। हजारों सवाल , और खुशी मिश्रित आशंका।
सुबह चार बजे उठाकर नास्ता बनाकर रखा। खाना बनाया। बच्चे का बैग पैक किया। नौ बजे इंटरव्यू था। सात बजे बच्चे को लेकर घर से निकली , दे केयर होम में उसे छोड़ा और खुद इंटरव्यू देने निकल गयी।
वंहा वह सब से पहले पंहुची थी। सोचा, लगता है नौकरी की सबसे ज्यादा जरुरत उसे ही है।
आखिर ग्यारह बजे उसका नाम बुलाया गया। वह अन्दर पंहुची सवाल शुरू हो गए। वह जैसे सवाल - ज़वाब के बीच खो गयी थी। इंटरव्यू अच्छा हुआ। तभी किसी ने पूछा आपकी उम्र ? सैतीस साल !
माफ़ कीजिएगा यह जॉब आपके लिए नहीं है। हम बूढ़े लोगों को जॉब ऑफर नहीं करते।
बूढ़े ?????????
हाँ वह बूढ़ी ही तो हो गयी थी अपने अनुभव से , अपनी क्षमताओं से और अपनी डिग्रियों से भी.
क्या करती जब उम्र थी नौकरी नहीं मिली। नौकरी नहीं मिली तो शादी हो गयी। शादी हो गयी तो बच्चे हो गए। बच्चे हुए तो समय नहीं रहा।
जब समय मिला तब उम्र गुजर गयी थी. सच में देर हो चुकी थी। सब कुछ ख़त्म हो गया था ;आर्थिक स्वायत्तता का उसका सपना भी।
काबिलियत की उम्र नहीं होती काश कि समाज और कुंठित मानसिकता वाले लोग ये समझ पाते। सुंदर कहानी अपर्णा जी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद श्वेता जी
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