टी. वी. सीरियल की अच्छी बहुओं,
अरे कभी तो थको अपनी झूठी मुस्कराहट से,
कभी तो दिखाओ कि तुम इंसान हो देवी नहीं,
दूसरों को खुश करने का ठेका नहीं ले रखा है तुमने,
तुममे भी हैं जान- प्राण।
तुम्हें देख-देख कर हर सास
बांधती है उम्मीद अपनी बहुओं से वैसे ही,
चाहती है इशिता ही आये उसके घर में बहू बनकर,
अक्षरा जैसे संभाले घर और ऑफिस दोनों,
सिमर की तरह परिवार को जोड़े रखने के लिए
अपने ख्वाब लगा दे दांव पर.
अरे बुद्द बक्शे में बंद सुंदरियों!
कभी तो इंसानी फितरत दिखाओ,
आम औरत के सुख-दुःख की कहानी में रची बसी नजर आओ,
कभी तो मेकअप बिना अपनी सूरत दिखाओ,
कहो कि भारी - भरकम साड़ी और गहने लाद
तुमसे भी रसोई में काम नहीं होता,
तुम भी हो आम औरत
तुम्हे भी लगती है भूख प्यास
चोट लगने पर दर्द तुम्हें भी होता है
घर, बच्चे, सास - ससुर, घर- ऑफिस
संभाले नहीं जाते तुमसे भी
अष्टभुजी नहीं हो तुम.
लोगों को सुनहरे सपने दिखाने से बाज आओ,
आम बहुओं पर थोड़ा तो तरस खाओ.
अरे कभी तो थको अपनी झूठी मुस्कराहट से,
कभी तो दिखाओ कि तुम इंसान हो देवी नहीं,
दूसरों को खुश करने का ठेका नहीं ले रखा है तुमने,
तुममे भी हैं जान- प्राण।
तुम्हें देख-देख कर हर सास
बांधती है उम्मीद अपनी बहुओं से वैसे ही,
चाहती है इशिता ही आये उसके घर में बहू बनकर,
अक्षरा जैसे संभाले घर और ऑफिस दोनों,
सिमर की तरह परिवार को जोड़े रखने के लिए
अपने ख्वाब लगा दे दांव पर.
अरे बुद्द बक्शे में बंद सुंदरियों!
कभी तो इंसानी फितरत दिखाओ,
आम औरत के सुख-दुःख की कहानी में रची बसी नजर आओ,
कभी तो मेकअप बिना अपनी सूरत दिखाओ,
कहो कि भारी - भरकम साड़ी और गहने लाद
तुमसे भी रसोई में काम नहीं होता,
तुम भी हो आम औरत
तुम्हे भी लगती है भूख प्यास
चोट लगने पर दर्द तुम्हें भी होता है
घर, बच्चे, सास - ससुर, घर- ऑफिस
संभाले नहीं जाते तुमसे भी
अष्टभुजी नहीं हो तुम.
लोगों को सुनहरे सपने दिखाने से बाज आओ,
आम बहुओं पर थोड़ा तो तरस खाओ.
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