एक दोस्त सरहद के उस पार


टिप्पणियाँ

  1. देश के बंटबारे के दर्द को आपने संवेदना की कूची से शब्दचित्र में बदल दिया है। बेहद मार्मिक रचना।
    आपकी यह प्रस्तुति गुरूवार 10 अगस्त 2017 को "पाँच लिंकों का आनंद "http://halchalwith5links.blogspot.in के 755 वें अंक में लिंक की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए अवश्य आइयेगा ,आप सादर आमंत्रित हैं। सधन्यवाद।

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    1. रवीन्द्र जी , आपका बहुत बहुत आभार .

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    2. उत्साहवर्धन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद. मै चर्चा में जरुर भाग लूंगी. रचना को लिंक करने के लिये आभार.

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  2. सुंदर भाव ...दोस्ती में सरहदें कैसी ?

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    1. मोनिका जी , ब्लोग पर आपका स्वागत है . प्रतिक्रिया देने कि लिये शुक्रिया. आगे भी आपकी प्रतिक्रियाओ का इंतज़ार रहेगा . सादर

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  3. सत्य कहा राजनीतिज्ञों के फैलाये आग में हम आज भी जल रहे हैं। बहुत ही मार्मिक रचना ! आभार ,"एकलव्य"

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  4. शुक्रिया एक्लव्य जी . आप सभी की सराहना और अच्छा लिखने के लिये प्रेरित करती है.

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  5. बहुत ही सुन्दर...
    हम अपनी दीवारों में कैद हो गये
    और हमारी दोस्ती हवाओं में घुल गयी
    मर्मस्पर्शी रचना....

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  6. दोस्ती को सरहदें रोक नहीं सकती । सुंदर रचना।

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  7. सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना...
    अच्‍छा लगा आपके ब्‍लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....

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