रक्षा का वादा

राखियों से सजी हुई कलाइयां
देती हैं अपनी बहनों को सुरक्षा का वादा 
हर बहन अपने भाई की कलाई पर रेशम की गाँठ बाँध कर 
सहेज लेती है रिश्ता उम्र भर के लिए ,
भाई भी बहनों को देते हैं उम्मीद 
कि उम्र भर निभाएंगे साथ 
हर मुश्किल में होंगे उनके आस- पास.

पर कितने भाई निभा पाते हैं अपना वादा ?
जब बहन ससुराल में बात बात पर झेल रही होती है शब्द बाण,
इच्छा के विरुद्ध खपा देती है अपना सर्वस्व पति के चरणों में ,
अपने आत्मसम्मान के लिए सिर उठाने की हिम्मत नहीं कर पाती 
अपनी छोटी -छोटी खुशियों के लिए भी करती है ज़द्दोज़हद
तब कहाँ होता है भाई का रक्षा का वादा। 

काश आज  हर बहन लती अपने भाई से सिर्फ अपनी नहीं 
हर औरत की रक्षा का वादा,
कि सड़क पर हर लड़की चल सकती बेख़ौफ़
ससुराल में रात भर सो पाती निश्चिन्त 
कि उसे मारने का षड्यंत्र नहीं रचा जा रहा होगा उसके आस पास.
अपनी छोटी सी इच्छा के लिए गिड़गिड़ाना नहीं पडेगा उसे. 

चाहती हूँ आज हर भाई दे एक वादा ;
अब सड़कें सुरक्षित हैं 
सुरक्षित हैं घरों के कोने अंतरे  
अब किसी भी अनजान की गोदी में पसर सकती है बच्चियां 
निकल सकती हैं घर से कभी भी 
पहन सकती हैं कुछ भी 
हर लड़की भर सकती है उन्मुक्त उड़ान 
कि उनके परों पर किसी की गंदी नज़रों का पहरा नहीं होगा। 

 

टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुंदर विचार अपर्णा जी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया श्वेता जी .
      आपके ब्लॉग पर कमेट लिखने में दिक्कत होती है . captcha हटा लीजिये .
      २-३ बार कोशिश की लेकिन कमेंट पब्लिश नहीं होता है .

      हटाएं
  2. बहुत सुंदर रचना भाइयों की रक्षा ही तो है जो आज हम सब बहने खुले आसमान में बेझिझक उड़ान भर रही हैं

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

लोकप्रिय पोस्ट