एक टूटी कहानी
एक राह चुनी थी
कुछ कदम चली थी
कुछ मान था तेरा
कुछ साथ था मेरा
हम संग बढ़े थे
हम संग लड़े थे।
कुछ काली रातें
कुछ चुभती बातें ,
कुछ शब्द लुटे से
कुछ ज़ख्म हरे से
वो बात पुरानी
क्यों हमने जानी?
न कुछ काला था
न कुछ उजला था
बस दूर खड़े थे
हम बिखर चुके थे.
वो संग हमारा
अब काला धब्बा।
हम ले बैठे हैं
कुछ यादें टूटी
सब बदल चुका है
दिल मचल चुका है
अब किससे कह दूँ
वो सांझ पुरानी
अब कैसे बांधूं
वो आस पुरानी
वो आस पुरानी।
कुछ कदम चली थी
कुछ मान था तेरा
कुछ साथ था मेरा
हम संग बढ़े थे
हम संग लड़े थे।
कुछ काली रातें
कुछ चुभती बातें ,
कुछ शब्द लुटे से
कुछ ज़ख्म हरे से
वो बात पुरानी
क्यों हमने जानी?
न कुछ काला था
न कुछ उजला था
बस दूर खड़े थे
हम बिखर चुके थे.
वो संग हमारा
अब काला धब्बा।
हम ले बैठे हैं
कुछ यादें टूटी
सब बदल चुका है
दिल मचल चुका है
अब किससे कह दूँ
वो सांझ पुरानी
अब कैसे बांधूं
वो आस पुरानी
वो आस पुरानी।
टूटी कहानी की दास्तान अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ज्योती दी, ब्लॉग पर आपका स्वागत है
हटाएंवाह.. बहुत सुन्दर रचना �� ��
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुधा जी. आपका स्वागत है.आपके सुझाव मेरा मार्गदर्शन करेंगे.
हटाएंबहुत खूबसूरत लिखा है।
हटाएंएक बात तो है जब कहीं कुछ टूटता है तो शब्द अच्छे बन पड़ते हैं।
पुरानी बातें जो अप्रमाणित होती हैं उनका ज़िक्र ग़लतफ़हमी पैदा करता है और विश्वास व
जवाब देंहटाएंसमर्पण की चूलें हिल जाती हैं ,बिखराव पनपने लगता है तथा फ़ासले बढ़ते जाते हैं।
अंतिम बंद में दर्द ज़्यादा उमड़ पड़ा है।
नए बिषयों की खोज ,रचनात्मक सोच इस ऊब से उबरने की राह प्रशस्त करती है अतः सकारात्मकता को तरज़ीह देना ही ऐसे हालातों में यथेष्ट चयन होता है।
हृदयस्पर्शी,समाजोपयोगी सृजन है आपका अपर्णा जी। बधाई एवं शुभकामनाऐं ! लिखते रहिये, बहुत कुछ सामने लाएगी आपकी प्रखर लेखनी।
रवीन्द्र जी आपकी प्रेरणात्मक प्रतिक्रिया मेरे लिये बहुत मायने रखती है. आप सब का मार्गदर्शन मिलता रहे यही कामना है.
हटाएंयादें अच्छी हो या बुरी अतीत होती है बस साथ जो.पल है वही जी लेना चाहिए जी भर के।
जवाब देंहटाएंसुंदर से भावपरिपूर्ण रचना अपर्णा जी।
स्वेता जी अब हर रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इन्तजार करती हूं ताकि कुछ सुझाव मिल सके.आशा है आपका मार्गदर्शन मिलता रहेगा . सादर आभार.
जवाब देंहटाएंVery beautifully defined it.
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