ओ बेआवाज़ लड़कियों !
बेआवाज़ लड़कियों !
उठों न, देखो तुम्हारे रुदन में........
कितनी किलकारियां खामोश हैं.
कितनी परियां गुमनाम हैं
तुम्हारे वज़ूद में.
तुम्हारी साँसे
लाशों को भी
ज़िंदगी बख़्श देती हैं....
ओ बेआवाज़ लड़कियों!
एक बार कहो
जो तुमने अब तक नहीं कहा........
कहो जो बंद पड़ा है
तुम्हारे तहखाने में.......
कहो कि दुनिया
बेनूर हो रही है
तुम्हारे शब्दों के बगैर। ......
इस मरघट सन्नाटे में
अपनी आवाज़ का संगीत छेड़ो।
अपने शब्दों का चुम्बन जड़ दो
हर अवसादग्रस्त मस्तक पर.
उल्लास का वरक लगा दो
हर ख़त्म होती उम्मीद पर.
ओ बेआवाज़ लड़कियों !
बोलो, कहो अनकही कहानियां
इससे पहले कि
ये समाज तुम्हारे ताबूत पर
अंतिम कील ठोंक दे।
(pic - google )
बहुत सुन्दर भाव!!!
जवाब देंहटाएंवाह !!!! प्रिय अपर्णा -- कितनी अनकही बातें कह डाली आपने अपनी रचना में | जोश से लबरेज़ उद्बोधन!!!!!!!!!!सचमुच आज हर लड़की की अनकही कहानियां उजागर होने का सही वक्त है | ये नारी उत्थान का सुंदर जोशीला उदघोष है | बहुत धार है आपके लेखन में | जिसकी आज भरपूर जरुरत है | सस्नेह शुभकामना |
जवाब देंहटाएंसादर आभार रेनू दी. आप की सराहना और बेहतर लिखने के लिये प्रेरित करती हैं.इसी तरह प्रोत्साहन की उम्मीद के साथ...
हटाएंनमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में आज गुरूवार 28 -09 -2017 को प्रकाशनार्थ 804 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय रवीन्द्र जी.
हटाएंअनकहे हर शब्द को जो मैं पी जाती हूँ,
जवाब देंहटाएंएक एक साँस पहरा ऐसे ही जी जाती हूँ
बहुत सुंदर लाज़वाब अभिव्यक्ति अपर्णा जी।
बहुत आभार आदरणीय श्वेता जी.
हटाएंस्त्रियों में नई उम्मीद को चित्रित कर दिया आपने इस शब्द सरिता में .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर....
जवाब देंहटाएंहाँ उठो अपनी आवाज बुलंद करो। गलत का जोरदार विरोध करो। कोई अपनी चिल्लाहट से तुम्हे दबाए तो तुम भी उन्हे दोगुनी चिल्लाहट से उनकी औकात दिखाओ।
जवाब देंहटाएंहाँ उठो अपनी आवाज बुलंद करो। गलत का जोरदार विरोध करो। कोई अपनी चिल्लाहट से तुम्हे दबाए तो तुम भी उन्हे दोगुनी चिल्लाहट से उनकी औकात दिखाओ।
जवाब देंहटाएंनारी उत्थान का जोशीले शब्द से परिपूर्ण सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंवास्तव आज भी लड़कियाँ बहुत कुछ कह कर भी कुछ नही कह पाती। सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंविचार सोचने को विवश करती ,आभार ,"एकलव्य"
जवाब देंहटाएंगहन विचार ... इससे पहले की ज़माना बंद कर इ तुन्हारी आवाज़ .... बोलो चुप सी लड़कियों ... सोचने को विवश करते शब्द ... समाज में घटित बातों का सत्य ...
जवाब देंहटाएंVery informative, keep posting such sensible articles, it extremely helps to grasp regarding things.
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