स्टेशन वाले मास्टर जी
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आपको देखकर उस दिन बहुत
डर लगा था मुझे. पता है क्योँ ? मुझे लगा आप मेरी पूरे दिन की मेहनत नाले में
फेंकने आये है. आपके घर के पास खाली बोतलें, प्लास्टिक की थैलियाँ, कुछ कबाड़ में
बिकने वाली चीजे चुन रही थी. मुझे लगा आप मुझे आभी डाट कर या मार कर भगा देंगे
जैसे और लोगों ने कई बार किया था.आप ने मुझे भगाया नहीं, न ही मेरे काम के बारे
में कुछ पूछा. मुझे हिकारत भरी नजरों से भी नहीं देखा.बस आपने मेरा नाम पूछा. मेरे
गालों को प्यार से सहलाया और अगले दिन स्टेशन के बाहर मिलने के लिए बुलाया.मै आवाक
थी. किसी को नहीं बताया. रात भर नींद नहीं आयी. जाने क्योँ आप का वो मेरे गालों को
प्यार से सहलाना बार बार याद आ रहा था. आज तक मुझसे इतने प्यार से कोई नहीं मिला
था.
सुबह जब मै उठी सबसे पहले
आप का ख़याल आया. मुझे आप से मिलने की बहुत ज़ल्दी थी. लेकिन काम पर भी जाना था.
नहीं तो आज रात भूखे सोना पड़ता. मै तो सो भी लेती, लेकिन मेरा छोटा भाई भूखा होने
से रात बार रोता है. मुझे भी सोने नहीं देता. मैंने दिन भर अपना काम किया. आज जो
भी मिला जल्दी से जाकर कबाड़ी के पास बेच दिया और आप से मिलने आ गयी. अरे आप तो
वंहा पहले से मौजूद थे. वंहा मुझ जैसे बहुत सारे बच्चे थे.उन सब को देखकर मेरा डर दूर
हो गया था. आपने सबको हाँथ पैर धुलवाकर पानी पिलाया. खाने क लिए बिस्किट दिया.फिर
सबको एक दूसरे का नाम और अपने परिवार के बारे में बताने के लिए कहा. सब मुझ जैसे
ही थे. किसी की माँ नहीं थी तो किसी का बाप नहीं था.कोई सड़क के किनारे सोता था, तो
कोई किसी मंदिर के अहाते में.स्टेशन के प्लेटफोर्म पर रहने वाले बहुत से थे. आपने सब
को कॉपी- पेन्सिल दी. सबसे पहले सभी को उनका नाम लिखना सिखाया. मैंने पहली बार अपना
नाम लिखा हुआ देखा. कितने चिकने थे उस कॉपी के पन्ने. आज तक उससे सुन्दर चीज मैंने
देखी. आप हमें रोज पढ़ाते थे.कभी गाना, कभी कहानी, कभी डांस.आप हम बच्चों की ज़िंदगी
में जैसे बहार ले आये थे.आप ने हमें इतना सिखा दिया था कि उस बड़े से चर्च वाले
स्कूल में हमारा नाम लिख गया था.
आज मै
पढ़ लिख कर एक स्कूल में पढ़ा रही हूँ.आप कंहा हैं मुझे नहीं मालूम. लेकिन मै जानती
हूँ आप आज भी उन बच्चों की ज़िंदगी में उजाला भर रहे होंगे जो अँधेरे में पैदा होकर
समाज की ज़िल्लत झेलने के लिए मजबूर होते हैं. आप आज भी किसी सीमा के गालों को
सहलाकर उसे स्नेह से अपने पास बुला रहे होंगे.आज भी कुछ बच्चे आपके आस पास घुमते
हुए गा रहे होंगे उल्लास के गीत.मास्टर जी आप को मेरा सलाम. आप जिस दिन मेरी
ज़िंदगी में आये मेरे लिए वही शिक्षक दिवस होता है. इस शिक्षक दिवस पर आपको शुभकामनाएं
. इश्वर से यही चाहती हूँ कि आप जैसा शिक्षक हर बच्चे की ज़िंदगी में आये. आप को
मेरा प्यार भरा सेल्यूट!
हृदयस्पर्शी कहानी बहुत सुंदर मन छू गयी अपर्णा जी।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया स्वेता जी. सादर
हटाएंदिल के करीब से गुज़र गयी आपकी संवेदनशील कहानी ... कई बार ऐसे अनजान लोग जीवन की दिशा बदल कर फिर कभी नहीं मिलते जीवन भर ...
जवाब देंहटाएंनासवा जी आपकी प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार.
हटाएंमर्मस्पर्शी और प्रेरक!
जवाब देंहटाएंविश्व मोहन जी प्रतिक्रिया देने और उत्साह वर्धन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंकाश,ऐसे शिक्षक दुनिया में बहुत सारे हो ताकि हरेक सिमा जैसे बच्चे पढ़ लिख कर कूछ बन सके। बहुत मर्मस्पर्शी कहानी।
जवाब देंहटाएंJyoti jee ,इतनी सुंदर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये आभार. सादर
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