सागर हो कर क्या कर लोगे?
एक था सागर भरा लबालब
प्यास के मारे तड़प रहा था,
इतनी थाती रखकर भी वो
बूंद - बूंद को मचल रहा था,
नदिया ने फ़िर हाथ मिलाया,
घूंट-घूंट उसको सहलाया,
उसके खारे पानी में भी
अपना मीठा नीर मिलाया.
दोनो मिलकर एक हुए जब
मीठा जल भी खारा हो गया.
दुनिया कहती नदी बनो तुम,
सारे जग की प्यास हरो तुम.
सागर हो कर क्या कर लोगे?
कैसे सबकी प्यास हरोगे?
कैसे धरती हरी करोगे?
प्यास के मारे तड़प रहा था,
इतनी थाती रखकर भी वो
बूंद - बूंद को मचल रहा था,
नदिया ने फ़िर हाथ मिलाया,
घूंट-घूंट उसको सहलाया,
उसके खारे पानी में भी
अपना मीठा नीर मिलाया.
दोनो मिलकर एक हुए जब
मीठा जल भी खारा हो गया.
दुनिया कहती नदी बनो तुम,
सारे जग की प्यास हरो तुम.
सागर हो कर क्या कर लोगे?
कैसे सबकी प्यास हरोगे?
कैसे धरती हरी करोगे?
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