पीठ या चेहरा.....
सोचती हूँ....
कितनी भद्दी हो गयी होगी मेरी पीठ
तुम्हारी पिटाई से,
लगातार रिसते ख़ून के धब्बे,
नीलशाह, अनगिनत ज़ख्म...........
फिर सोचती हूँ....
तुम्हारे चहरे से ज्यादा भद्दी तो न होगी
कितना कुरूप लगता था तुम्हारा चेहरा ;
मुझे पीटते वक्त,
पीठ तो पीठ है
और चेहरा है :
मन का दर्पण
कुरूप कौन?
(image source google)
कितना सत्य लिखा है ... पीठ के निशान मिट जाएँगे पर जिसके मन में कुरूपता है बो उम्र भर कुरूप रहेगा ... ऐसे लोग धब्बा हैं समाज पर ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय नासवा जी, सादर आभार आपका. आप हमेशा मेरा उत्साह वर्धन करते हैं. आप से इसीप्रकार आशीष की अपेक्षा है.
हटाएंसादर
सटीक और सार्थक रचना.. ऐसे लोग के चेहरे कुरूप ही है..
जवाब देंहटाएंसादर आभार पम्मी जी, ब्लॉग पर आप का इंतज़ार रहता है.
हटाएंवाह, क्या दर्द की पिटाई कर दी। सच कहा सुरूप और कुरूप तो मन होता है, आत्मा होती है।
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने अपर्णा |
जवाब देंहटाएंपीठ तो पीठ है
और चेहरा है :
मन का दर्पण
कुरूप कौन? --
एक कडवी और समाज की अदृश्य सच्चाई उकेरी आपने सदा की तरह लाजवाब लेखन !!!!!!!!
प्रिय रेनू दी, सादर आभार
हटाएंवाह!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रभावशाली लिखा आपने..।
चंद पंक्तियों में ही समेट दिया कुरुपता के वास्तविक मायने..!!
प्रिय अनीता जी,सादर धन्यवाद
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 13दिसंबर2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय पम्मी जी , मेरी रचना को मान देने के लिये आभार
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआइने को आईना दिखाती अद्भुत रचना।
जवाब देंहटाएंसारा सत्य बस एक ही कथन मे दृश्य मान हो गया।
कितना कुरुप लगता था तुम्हारा चेहरा...
शुभ संध्या ।
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसच्चाई बयां करती आप की रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बढिया सवाल भेदता हुआ
जवाब देंहटाएंअपर्णा जी सच बयानगी आपकी रचनाओं में अत्यंत मुखर है।जो सीधे हृदय पर वार करती है।
जवाब देंहटाएंसमाज के चेहरे का हर रंग यूँ ही दिखाते रहे, शुभकामनाएँ मेरी स्वीकार कीजिए।
शब्द कम हैं मगर भाव बहुत गहरे हैं ,
जवाब देंहटाएंबढ़िया |
सही कहा है आपने,पिटने वाले के शरीर से बदसूरत पीटनेवाले का चेहरा ही लगता है....
जवाब देंहटाएंरचनात्मक भावनात्मक अत्तुलनीय
जवाब देंहटाएंसत्य, सटीक, सरोकारी
जवाब देंहटाएं💐💐💐💐💐💐💐
https://bolpahadi.blogspot.in/
सत्य, सटीक, सरोकारी
जवाब देंहटाएं💐💐💐💐💐💐💐
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आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 04 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक ....
जवाब देंहटाएंसमाज का कटु सत्य उकेरती आपकी रचना सराहनीय है...
लाजवाब...
सुंदर,प्रभावशाली रचना.
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