पीठ या चेहरा.....


सोचती हूँ.... 
कितनी भद्दी हो गयी होगी मेरी  पीठ
तुम्हारी पिटाई से,
लगातार रिसते ख़ून के धब्बे,
नीलशाह, अनगिनत ज़ख्म...........

फिर सोचती हूँ....
तुम्हारे चहरे से ज्यादा भद्दी तो न होगी
कितना कुरूप लगता था तुम्हारा चेहरा ;
मुझे पीटते वक्त,

पीठ तो पीठ है
और चेहरा है : 
मन का दर्पण 
कुरूप कौन? 


(image source google)


टिप्पणियाँ

  1. कितना सत्य लिखा है ... पीठ के निशान मिट जाएँगे पर जिसके मन में कुरूपता है बो उम्र भर कुरूप रहेगा ... ऐसे लोग धब्बा हैं समाज पर ...

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    1. आदरणीय नासवा जी, सादर आभार आपका. आप हमेशा मेरा उत्साह वर्धन करते हैं. आप से इसीप्रकार आशीष की अपेक्षा है.
      सादर

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  2. सटीक और सार्थक रचना.. ऐसे लोग के चेहरे कुरूप ही है..

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    उत्तर
    1. सादर आभार पम्मी जी, ब्लॉग पर आप का इंतज़ार रहता है.

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  3. वाह, क्या दर्द की पिटाई कर दी। सच कहा सुरूप और कुरूप तो मन होता है, आत्मा होती है।

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  4. बहुत सही कहा आपने अपर्णा |
    पीठ तो पीठ है
    और चेहरा है :
    मन का दर्पण
    कुरूप कौन? --
    एक कडवी और समाज की अदृश्य सच्चाई उकेरी आपने सदा की तरह लाजवाब लेखन !!!!!!!!

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  5. वाह!!
    बहुत ही प्रभावशाली लिखा आपने..।
    चंद पंक्तियों में ही समेट दिया कुरुपता के वास्तविक मायने..!!

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  6. आपकी लिखी रचना  "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 13दिसंबर2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आदरणीय पम्मी जी , मेरी रचना को मान देने के लिये आभार
      सादर

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  7. आइने को आईना दिखाती अद्भुत रचना।
    सारा सत्य बस एक ही कथन मे दृश्य मान हो गया।
    कितना कुरुप लगता था तुम्हारा चेहरा...
    शुभ संध्या ।

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  8. सच्चाई बयां करती आप की रचना
    बहुत सुंदर

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  9. अपर्णा जी सच बयानगी आपकी रचनाओं में अत्यंत मुखर है।जो सीधे हृदय पर वार करती है।
    समाज के चेहरे का हर रंग यूँ ही दिखाते रहे, शुभकामनाएँ मेरी स्वीकार कीजिए।

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  10. शब्द कम हैं मगर भाव बहुत गहरे हैं ,
    बढ़िया |

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  11. सही कहा है आपने,पिटने वाले के शरीर से बदसूरत पीटनेवाले का चेहरा ही लगता है....

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  12. रचनात्मक भावनात्मक अत्तुलनीय

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  13. सत्य, सटीक, सरोकारी
    💐💐💐💐💐💐💐
    https://bolpahadi.blogspot.in/

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  14. सत्य, सटीक, सरोकारी
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  15. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 04 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  16. बहुत ही सटीक ....
    समाज का कटु सत्य उकेरती आपकी रचना सराहनीय है...
    लाजवाब...

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