मरे हुए लोग
मरे हुए लोग
मरते हैं रोज-रोज
थोड़ा- थोड़ा,
अपनी निकलती साँसों के साथ
मर जाता है उनका उत्साह,
हंसते नहीं है कभी
न ही बोलते है,
अपनी धड़कनों के साथ
बजता है उनका शरीर
जैसे पुराने खंडहरों में
तड़पती हो कोइ आत्मा.
मरे हुए लोग,
जल्दी में रहते हैं हमेशा,
चलते रहते हैं पूरी ज़िंदगी
पर कंही नहीं पंहुचते.
मरे हुए लोगों की अंत्येष्टि नहीं होती,
मुक्त नहीं होती उनकी रूह
मर जाती है शरीर के साथ.
ये मरे हुए लोग,
श्मशान नहीं ले जाए जाते,
बस!
दफ़ना दिए जाते हैं अपने ही घरों में.
(picture credit google)
(picture credit google)
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14 - 12 - 2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2817 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आदरणीय दिलबाग जी, मेरी रचना को चर्चा मंच के पटल पर स्थान देने के लिये आभार.
हटाएंसही कहा अपर्णा जी, होते हैं कुछ ऐसे लोग भी जो अपने जीवन का मकसद नहीं जानते. निष्क्रिय उदासीन रहकर पूरा जीवन गुजार देते हैं. सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंhttps://sudhaa1075.blogspot.in/2017/12/blog-post_12.html?m=1
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जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है
जवाब देंहटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंगंभीर अर्थों से ओतप्रोत सार्थक रचना. एक जीवन मिला है व्यक्ति उसको चरमोत्कर्ष पर ले जाने के यत्न सभी नहीं कर पाते. कहा गया है व्यक्ति परिस्थितियों का दास / दासी है. लेकिन आपकी रचना शायद ऐसे कटाक्ष से किसी का ज़मीर जगाने में सफल हो जाय.
जवाब देंहटाएंलिखते रहिये. बधाई एवं शुभकामनायें.
आपकी शुभकामनाओं के लिये सादर आभार रवीन्द्र जी
हटाएंज़िन्दगी एक मक़सद होना ज़रूरी है ... संवेदनाएँ ज़रूरी हैं ज़िन्दा साबित करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावी रचना ...
वक़्त-ए-रुखसत भी रो रहा था मरे हुए लोग की बेबसी पर;
जवाब देंहटाएंउनके आंसू तो वहीं रह गये, वो बाहर ही आना भूल गये...
रचना तो है हे मर्मस्पर्शी और आदरणीय रविन्द्र जी और अजय रे की टिपण्णी रचना को विस्तार दे रही है | शाबाश अपर्णा -- ज्वलंत विषय कि सार्थक रचना के लिए !!!!!!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 04 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअकर्मण्य लोग हमेशा नीरस और उत्साह हीन जीवन जीते हैं ऐसे आलसी लोग मरे समान ही हैं...हर उद्यम के समय बारबार मरते हैं....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक...
वाह!!!