आओ हम थोड़ा सा प्रेम करें
आओ हम थोड़ा सा प्रेम करें
महसूसें एक दूसरे के ख़यालात,
एहसासों की तितलियों को
मडराने दें फूलों पर,
कुछ जुगुनू समेट लें अपनी मुट्ठियों में
और ...... रौशन कर दें
एक दूसरे के अँधेरे गर्त,
आओ बाँट लें थोड़ा-थोड़ा कम्बल,
एक दूसरे के हांथों का तकिया बना
बुलाएं दूर खड़ी नींद,
ठिठुरती रात में
एक दूसरे के निवालों से
दें रिश्तों को गर्माहट.
आओ हम थोड़ा सा प्रेम करें
बाँट लें आसमान आधा-आधा
खिलखिलाएं एक दूसरे के कन्धों पर बेलौस,
आओ हम सहेज लें अपने आप को
एक दूसरे में....
भूख, प्यास, दर्द, बेबसी, लाचारी को परे धकेल
कारवां बनाएं
अपने प्रेम का......
आओ हम थोड़ा सा प्रेम करे
इससे, उससे, खुद से
कि.... प्रेम ही दे सकता है उम्मीद
इस सृष्टि के बचे रहने की.
(Picture credit google)
आओ हम थोड़ा सा प्रेम करें
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत अशआर
आभार
हटाएंसादर
सुंदर पंक्तियां
जवाब देंहटाएंShukriya
हटाएंबड़ी ही मनभावन और मधुर आकांक्षा पिरोई अपर्णा आपने अपनी रचना में | सस्नेह बधाई और शुभकामना --
हटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 04 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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